उत्तराखंड के जंगल को नुकसान पहुंचा रहे चीड़ के पौधे, चौडे़ पत्तों वाले वृक्ष लगाएं जाएं : हरदा
पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी सियासत को शांत कराने मे जुटे पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने चीड़ व जंगल के बहाने सरकार को सुझाव देने के साथ निर्णय लेने के लिए साहस दिखाने की बात भी कही।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी सियासत को शांत कराने मे जुटे पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने चीड़ व जंगल के बहाने सरकार को सुझाव देने के साथ निर्णय लेने के लिए साहस दिखाने की बात भी कही। हरदा ने फेसबुक पर लिखा कि चीड़ जंगल का प्रसार उत्तराखंड की इकोलॉजी व फॉरेस्ट की आंतरिक कैमिस्ट्री को नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरणविद् चीड़ वृक्षों की बजाय चौड़ी पत्ती प्रजाति को प्रोत्साहन देने की बात करते हैं। इसलिए बतौर सीएम चीड़ को लेकर मैंने तीन निर्णय लिए थे।
पूर्व सीएम रावत ने कहा कि चीड़ की पत्तियां बटोरने वाली महिलाओं को मनरेगा वर्कर मानना चाहिए। क्योंकि वो एग्रीकल्चर एक्टिविटी है और वो अपनी खेती के लिये बटोरने के साथ इकोलॉजी को बचा भी रहे हैं। दूसरा चीड़ का कोई नया पौधा नहीं लगाना चाहिए। नर्सरियों में भी इस पर रोक लगे। वहीं, तीसरा प्लान यह था कि हर रेंज के कुछ हिस्से और वेदर वर्किंग प्लान के तहत चीड़ मुक्त किया जाए। और फलदार और पुष्प वृक्ष लगाएं। ताकि वन्यजीवों को खाना मिल सके। इन निर्णयों का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा भी गया। लेकिन तब कुछ पर्यावरण शास्त्री आलोचना पर उतर आए।
मेरे कुछ दोस्तों ने बताया कि अमेरिका व लंदन के डेली समाचार पत्रों में इस खबर को आलोचनात्मक तरीके से दर्शाया गया है। जबकि मैं खुद मैं खुद पर्यावरण संरक्षण व वनों को बचाने की लड़ाई में शामिल रहा था। लेकिन इन आलोचकों के चक्कर में निर्णय धरातल पर नहीं उतर सके। वहीं, हरदा ने आगे कहा कि इन बातों का उल्लेख इसलिये कर रहा हूं कि, हो सकता है उत्तराखण्ड में सरकार जब पूरे वन स्थिति को रिव्यू करे। कभी और उस पर चर्चा हो तो हमारे ये निर्णय जिनको लागू करने की हिम्मत मैं नहीं दिखा पाया, उन पर कोई साहसी व्यक्ति हिम्मत दिखाए।
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