फलपट्टी क्षेत्रों पर आवासीय कॉलोनी व स्टोन क्रशर पर लटकी तलवार NAINITAL NEWS
रामनगर प्रशासन द्वारा फल पट्टी संरक्षण अधिनियम के बाद भी 27 एकड़ फलपट्टी पट्टी क्षेत्र को अकृषक घोषित कर दिया। यहीं नहीं उक्त क्षेत्र को रेता बजरी का भंडारगृह बना दिया।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने रामनगर फलपट्टी क्षेत्र में आवासीय कॉलोनी निर्माण, स्टोन क्रशर लगाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को 1985 के फल पट्टी संरक्षण अधिनियम व अधिसूचना का प्रचार-प्रसार करते हुए अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रामनगर निवासी अपूर्व जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि रामनगर में लीची व आम उत्पादन के लिए प्रसिद्ध 26 गांवों व उसके तीन किमी दायरे को सरकार द्वारा 2002 में फलदार वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत फलपट्टी घोषित किया था।
इस अधिनियम के तहत फलदार पेड़ वाले क्षेत्रों में आवासीय कॉलोनी या किसी प्रकार का उद्योग लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया था। राज्य सरकार को विशेष परिस्थितियों में ही किसी तरह के निर्माण की अनुमति प्रदान की गई थी, लेकिन रामनगर प्रशासन द्वारा इस आदेश के बाद भी 27 एकड़ फलपट्टी पट्टी क्षेत्र को अकृषक घोषित कर दिया। यहीं नहीं उक्त क्षेत्र को रेता बजरी का भंडारगृह बना दिया। बड़े पैमाने पर हरे फलदार पेड़ों को काट दिया गया। इस क्षेत्र में आवासीय कॉलोनी बनाने की अनुमति प्रदान कर दी गई। याचिका में इसको रोकने की प्रार्थना की गई थी। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद फल पट्टी संरक्षण अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद इस क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियों व स्टोन क्रशर पर तलवार लटक गई है।
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