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अब 400 करोड़ नहीं हल्द्वानी की रिंग रोड बनाने के लिए चाहिए 2100 करोड़ का बजट

हर साल सर्किल रेट बढऩे की वजह से इसका बजट भी बढ़ता गया। क्योंकि प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए वन भूमि के साथ निजी भूमि भी अधिग्रहीत होनी थी। जिसमें कामर्शियल कोटे की जमीन भी शामिल थी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 07:46 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 07:46 AM (IST)
अब 400 करोड़ नहीं हल्द्वानी की रिंग रोड बनाने के लिए चाहिए 2100 करोड़ का बजट
अब 400 करोड़ नहीं हल्द्वानी की रिंग रोड बनाने के लिए चाहिए 2100 करोड़ का बजट

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कुमाऊं का प्रवेशद्वार हल्द्वानी जाम के झाम में जकड़ा रहता है। सड़क पर निकलने वाले किसी धार्मिक जुलूस और राजनीतिक रैली के दौरान वाहन रेंगते नजर आते हैं। पुलिस चाहे कितने ट्रैफिक प्लान बना ले, लेकिन वाहनों का बढ़ता दबाव और तंग सड़कों की वजह से जाम लगता है। 22 अप्रैल 2017 को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी के इस संकट को दूर करने के लिए ङ्क्षरग रोड की घोषणा की थी। तब इसका बजट आंकलन 400 करोड़ था।

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शुरुआत में सर्वे और भौतिक परीक्षण में तेजी से काम हुआ, मगर फिर मामला अटक गया। अंतिम सर्वे के मुताबिक ङ्क्षरग रोड को अब 2100 करोड़ का बजट चाहिए। हल्द्वानी में प्रस्तावित रिंग रोड की लंबाई 51 किमी है। काठगोदाम से पनियाली, फतेहपुर, लामाचौड़ पहुंचने के बाद सड़क गन्ना सेंटर मुड़ती। फि रमोटाहल्दू पर नेशनल हाईवे को निकलनी थी। उसके बाद तीनपानी से बाइपास होकर काठगोदाम को वाहन पास हो जाते। एक करोड़ 57 लाख रुपये लेकर क्राफ्ट कंसलटेंसी कंपनी ने इसका फिजिबिलिटी टेस्ट किया था।

हर साल सर्किल रेट बढऩे की वजह से इसका बजट भी बढ़ता गया। क्योंकि प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए वन भूमि के साथ निजी भूमि भी अधिग्रहीत होनी थी। जिसमें कामर्शियल कोटे की जमीन भी शामिल थी। प्रथम चरण में लैंड ट्रांसफर के अलावा जल संस्थान की लाइन शिफ्टिंग, बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर के अलावा बीएसएनएल की लाइनों को हटाने के लिए भी बजट जारी करना था। महंगा प्रोजेक्ट होने की वजह से बजट मंजूरी के लिए शासन ने इसकी फाइल केंद्रीय पोषित योजना को भेज दी थी। लेकिन आज तक मामला आगे नहीं बढ़ा।

रिंग रोड पर एक नजर

22 अप्रैल 2017 को सीएम त्रिवेंद्र रावत ने घोषणा की।

मई 2017 में लोनिवि ने सर्वे कंपनी का चयन कर लिया।

जून 2018 में भौतिक सत्यापन का काम पूरा कर लिया।

अक्टूबर 2017 में प्रथम चरण का सर्वे कार्य पूरा हुआ।

मार्च 2018 में कंपनी ने आपत्ति दूर कर लोनिवि को रिपोर्ट सौंपी।

जून 2018 में 762.59 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा।

दिसंबर 2018 में पुन: फिजिबिलिटी टेस्ट होने पर बजट 1000 करोड़ पहुंचा।

एक साल पहले हुए अंतिम सर्वे के बाद बजट 2100 करोड़ पहुंच गया।

मामला केंद्र के पास पहुंचा

ईई लोनिवि अशोक कुमार ने बताया कि फिजिबिलिटी टेस्ट कराने के बाद विभाग ने बजट को लेकर प्रस्ताव बनाया था। अब लागत करीब 2100 करोड़ पहुंच चुकी है। मामला शासन से केंद्र के पास पहुंचा है।


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