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ग्रेनाइट धरती पर पाई जाने वाली प्राथमिक चट्टान, भूगर्भीय घटनाओं को समझने का यही माध्यम

कुमाऊं विवि के भूगर्भ विज्ञान विभाग में देश के युवा वैज्ञानिकों का राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है। बुधवार से ग्रेनाइट से संबंधित चट्टान पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि ग्रेनाइट धरती पर पाई जाने वाली प्राथमिक चट्टान है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 06 Sep 2022 08:43 AM (IST)Updated: Tue, 06 Sep 2022 08:43 AM (IST)
ग्रेनाइट धरती पर पाई जाने वाली प्राथमिक चट्टान, भूगर्भीय घटनाओं को समझने का यही माध्यम
कुमाऊं विवि के भूगर्भ विज्ञान विभाग में देश के युवा वैज्ञानिकों का राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

जागरण संवाददाता, नैनीताल : कुमाऊं विवि के भूगर्भ विज्ञान विभाग में देश के युवा वैज्ञानिकों का राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में देश के विभिन्न नामी संस्थानों की महिला युवा वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं, जबकि विशेषज्ञ के रूप में विदेशी वैज्ञानिक शामिल हैं। समापन 11 सितंबर को होगा।

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बुधवार से ग्रेनाइट से संबंधित चट्टान पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि ग्रेनाइट धरती पर पाई जाने वाली प्राथमिक चट्टान है। जो धरती के भीतर मैग्मा के अत्यंत ठंडे होने से बनता है। ग्रेनाइट के अपक्षय से अवसादी और इसके विभिन्न परिस्थितियों में रूपांतरित पत्थरों का निर्माण होता है।

किसी भी क्रेटान के मुख्य अंग ग्रेनाइट ही होते हैं। ग्रेनाइट के अध्ययन से कालांतर में धरती पर घटी विभिन्न भूगर्भीय घटनाओं को समझा जा सकता है। धरती पर पाए जाने वाली सभी धातुओं को स्रोत ग्रेनोइट ही होता है।

ग्रेनाइट को भू विज्ञान में महत्ता का देखते हुए भारत में ग्रेनाइट में शोध कर रही महिला वैज्ञानिकों के लिए भारत सरकार की ओर से अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

कार्यक्रम संयोजक प्रो संतोष कुमार ने बताया कि कार्यशाला वर्तमान में प्रयोग होने वाले आधुनिक सॉफ्टवेयर और तकनीकी में प्रशिक्षित करेगी। जिससे देश में भविष्य में विज्ञान के चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में भारतीय महिला वैज्ञानिकों की भागीदारी बढ़े।

कार्यशाला के तकनीकी सत्र में चट्टान में ग्रेनाइट चिन्हीकरण के तरीके बताए गए। यह भी बताया गया कि चट्टान में किस तरह के भूगर्भीय बदलाव होते हैं। चट्टान के अंदर भी माइक्रोलेबल चट्टान होती है।

वर्कशॉप में ये रहे मौजूद

इस अवसर पर डीएसटी के प्रो उमेश शर्मा, विभागाध्यक्ष प्रो प्रदीप गोस्वामी, डीन साइंस प्रो एबी मेलकानी, डीएसडब्लू प्रो नीता बोरा शर्मा, समेत फ्रांस के प्रो माेयन जीन, इटली के प्रो फेड्रिको फरीना, जी अगेस्टो चेक रिपब्लिक के प्रो वी जॉनसेक, दक्षिण अफ्रीका के डा मैथ्यू मयने, इटली की रोबर्टो, प्रो सिल्वियो फरेरो, प्रो बासिल टिकोफ, प्रो माइकल सी समेत कुमाऊं विवि के प्रो संजय पंत, प्रो बीएस कोटलिया, प्रो एलएस लोधियाल, निर्मित साह, कपिल पंवार, डा नरसिम्हा, शोधार्थी मंजरी पाठक, अंजु मिश्रा, प्रियंका नेगी आदि थे।


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