सरकार नैनीताल जिले में 55 लोगों को जमीन समतलीकरण का देगी अनुमति, 78 करोड़ का होगा राजस्व
खनन कारोबार के जरिए राजस्व हासिल करने के लिए सरकार नैनीताल जिले में 55 लोगों को जमीन समतलीकरण की अनुमति देने जा रही है। खान विभाग के माध्यम से प्र्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विपक्षी दल की तरफ से भले तमाम प्रतिक्रियाएं दी जा रही हो!
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : खनन कारोबार के जरिए राजस्व हासिल करने के लिए सरकार नैनीताल जिले में 55 लोगों को जमीन समतलीकरण की अनुमति देने जा रही है। खान विभाग के माध्यम से प्र्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विपक्षी दल की तरफ से भले तमाम प्रतिक्रियाएं दी जा रही हो, लेकिन सरकार को इन कामों से 78 करोड़ से भी अधिक की कमाई होगी। खान विभाग के मुताबिक, हाई कोर्ट की तरफ से आए आदेश में इन पर रोक का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
गौला, कोसी, दाबका और नंधौर में सरकार खुद खनन कराती है। वन निगम के जरिये वन विभाग के अधीन आने वाली इन नदियों से हर साल उपखनिज निकला जाता है, जिससे सरकार को अरबों रुपये का राजस्व आठ माह के भीतर मिल जाता है। इसके अलावा जमरानी में केएमवीएन और निजी पट्टों से भी खनन होता है। रामनगर, बेतालघाट आदि इलाकों में भी खनन पट्टों को हर साल स्वीकृति दी जाती है। वहीं, अब जमीन समतलीकरण से भी राजस्व जुटाने का प्रयास हो रहा है। इससे जुड़े 55 मामलों की फाइल खान विभाग के पास चल रही है।
हल्द्वानी, बेतालघाट, कोश्याकुटौली, लालकुआं, नैनीताल, कालाढूंगी, रामनगर तहसील से यह आवेदन मिले हैं। इनके परीक्षण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। पैमाइश यानी उपखनिज निकासी की मात्रा के आंकलन के हिसाब से रायल्टी के तौर पर सरकार को इनसे 78 करोड़ 80 लाख रुपये मिलेंगे। खान विभाग के मुताबिक 54 मामले समतलीकरण के हैं। चोरगलिया में एक व्यक्ति ने स्वीमिंग पूल बनाने के लिए आरबीएम निकालने की अनुमति मांगी है। उप निदेशक खान विभाग राजपाल लेघा ने बताया कि जिले में समतलीकरण को लेकर 55 आवेदन मिले हैं। हर तहसील से आए आवेदनों की जांच के बाद नियमों के तहत अनुमति मिलेगी।
इसलिए मिलेगी अनुमति
अगर कोई व्यक्ति यह कहे कि उसके खेत में आरबीएम की भारी मात्रा होने के कारण जमीन उपजाऊ नहीं है। इसलिए उपखनिज निकालने के बाद मिट्टी भरकर जमीन पुन: खेती लायक बनाई जाएगी। इसके अलावा नदी से सटे खेतों में पानी की वजह से आरबीएम जमा होने पर उसकी निकासी की परमिशन मिलेगी। हालांकि, सवाल खड़ा होता है कि निकासी के बाद हुए बड़े-बड़े गड्ढों के भरान की अनुमति होगी या नहीं।