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Budget 2021 : कुमाऊं के ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की मांग, डीजल व पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाए सरकार

Budget 2021 पब्लिक सेक्टर में ट्रांसपोर्ट बहुत अहम भूमिका निभाता है। सामान को एक स्थान से दूसरी जगह ले जाने में ट्रांसपोर्टरों की भूमिका कितनी अहम है लाकडाउन पीरियड में इसका नमूना देखने को मिला था। लेकिन ट्रांसपोर्टरों व उससे जुड़े अन्य सहयोगियों की हितों की बात नहीं होती।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 07:51 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 07:51 AM (IST)
Budget 2021 : कुमाऊं के ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की मांग, डीजल व पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाए सरकार
Budget 2021 : कुमाऊं के ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की मांग, डीजल व पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाए सरकार

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : पब्लिक सेक्टर में ट्रांसपोर्ट बहुत अहम भूमिका निभाता है। सामान को एक स्थान से दूसरी जगह ले जाने में ट्रांसपोर्टरों की भूमिका कितनी अहम है, लाकडाउन पीरियड में इसका नमूना देखने को मिला था। ट्रांसपोर्ट कारोबारी कहते हैं कि मुश्किल समय में जब सब कुछ ठहर गया था, ट्रांसपोर्टरों ने हिम्मत दिखाते हुए चालकों का विश्वास जीता। खुद को जोखिम में डालकर दिन-रात अपने काम में वे जुटे रहे। इसके बावजूद बजट में ट्रांसपोर्टरों व उससे जुड़े अन्य सहयोगियों की हितों की बात नहीं होती।

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कारोबारियों का कहना है कि सरकार इस बार के बजट में जरूर कुछ अहम फैसले ले। विशेषकर डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना अहम फैसला हो सकता है। डीजल, पेट्रोल के जीएसटी के दायरे से बाहर होने से व्यापारियों को दोहरे, तीसरे टैक्स का भार पड़ता है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुगम बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। माल वाहक वाहनों को राजस्व की कमाई का जरिया समझने की मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है। डिजिटल के दौर में जब सभी कुछ आनलाइन है, फेरी व्यावसायियों को डिजिटल लेनदेन के तरीके सिखाए जा रहे हैं, ऐसे में कागजात की मैनुअल जांच व चालान का प्रावधान पूरी तरह बंद होना चाहिए। सरकार इस तरह के कुछ फैसले करती है तो निश्चित ही ट्रांसपोर्ट कारोबार राहत महसूस करेगा।

डीजल, पेट्रोल के बढ़ते दामों पर अंकुश लगे। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, रोड टैक्स, टोल टैक्स, यात्री टैक्स, पुलिस चालान ने ट्रांसपोर्ट कारोबार की कमर तोड़ दी है। ट्रांसपोर्ट सेक्टर को कुछ राहत मिले।

-हरजीत सिंह चड्ढा, स्पेयर पाट्र्स कारोबारी

डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। परिवहन को लेकर कुछ ऐसे नियम बनें, जिससे वाहन मालिकों व चालकों को यातायात के दौरान परेशानी और बेवजह से चालान से न जूझना पड़े।

-सौरभ अग्रवाल, ट्रांसपोर्ट कारोबारी

छोटे ट्रांसपोर्टर को राहत दी जानी चाहिए। ट्रांसपोर्टरों को मध्यम एवं लघु सूक्ष्म उद्यम के दायरे में लाना चाहिए, जिससे उनके भुगतान कंपनियां समय से कर सकें।

-पंडित दयाकिशन शर्मा, ट्रांसपोर्टर

जीएसटी की जटिलताओं को दूर किया जाए। स्पेयर पाट्र्स पर जीएसटी की दरें 28 प्रतिशत हैं। टायर, ट्यूब पर भी अधिकतम टैक्स लगाया गया है। इसे घटाकर 18 फीसद किया जाना चाहिए।

-नरेंद्र भौर्याल, ट्रांसपोर्ट कारोबारी


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