राज्य में बदली वनों की परिभाषा के मामले में सरकार नहीं दाखिल किया जवाब, हाईकोर्ट सख्त
राज्य में बदली वनों की परिभाषा के मामले में सरकार जवाब दाखिल नहीं कर सकी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में सुनवाई की।
नैनीताल, जेएनएन : राज्य में बदली वनों की परिभाषा के मामले में सरकार जवाब दाखिल नहीं कर सकी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यदि सरकार ने जल्द जवाब दाखिल नहीं किया तो 26 फरवरी तक प्रमुख सचिव वन व पीसीसीएफ को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा।
नैनीताल के प्रो. अजय रावत व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी। पूर्व में उत्तराखण्ड हाई कोर्ट की खण्डपीठ ने राज्य सरकार के कार्यालय आदेश पर रोक लगा दी थी। याचिककर्ता के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट में कहा गया कि जो कार्यालय आदेश सरकार ने जारी किया है वो गलत है, क्योंकि केन्द्र सरकार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि टीएन गोण्डावर्मन केस के आदेश के खिलाफ है और राज्य इस तरह के कोई आदेश जारी ना करे जिससे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होता है। दरअसल राज्य सरकार ने 21 नवम्बर को कार्यालय आदेश जारी कर वनों की परिभाषा बदली थी जिसमें साफ कहा गया है कि 10 हेक्टेयर से ज्यादा को भी राज्य में वन माना जायेगा जिसका धनत्व 60 प्रतिशत होगा। सरकार के इस कार्यालय आदेश को चुनौती देते हुए कहा था सरकार के यह आदेश गलत बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
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