Carona virus : कोरोना से चीन का विवि बंद, नैनीताल से ऑनलाइन लेक्चर ले रही हैं डॉ. गायत्री
चीन के स्वदेशी छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए वहां की सरकार ने खासा इंतजाम किया है। ऑनलाइन व्यवस्था के तहत शोध व अध्ययन-अध्यापन का काम जारी रखने की कोशिश हो रही है।
नैनीताल, किशोर जोशी : कोरोना के कारण चीन की तमाम यूनिवर्सिटी में अनिश्चितकालीन अवकाश घोषित कर दिया गया है। वहां विश्वविद्यालयों में प़ढ़ रहे ज्यादातर देशों के छात्र लौट गए हैं। लेकिन चीन के स्वदेशी छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए वहां की सरकार ने खासा इंतजाम किया है। ऑनलाइन व्यवस्था के तहत शोध व अध्ययन-अध्यापन का काम जारी रखने की कोशिश हो रही है। चीनी सरकार ने ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्रोफेसरों को अगले आदेश तक अपने देश में ही रहने का आदेश दिया है। फिर पढ़ाई व शोध कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है, क्योंकि वे डिजिटल व्यवस्था के तहत ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं।
घर से ऑनलाइन लेक्चर दे रही हैं डॉ. गायत्री
चीन का वुहान शहर कोरोना का मुख्य केंद्र है। चीन के ही शिऑन शहर में दुनिया में प्रबंधन की टॉप यूनिवर्सिटी ज्यॉटांग में ढाई लाख से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययन व शोध कर रहे हैं। नैनीताल के सात नंबर क्षेत्र की निवासी इंजीनियरिंग में पीएचडी डॉ. गायत्री कठायत इसी विवि में ग्लोबल क्लाइमेट चेंज की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। गायत्री शोध के सिलसिले में वियतनाम गई थीं। वहां से सीधे नैनीताल आ गईं। बसंत अवकाश के बाद फरवरी में विवि खुलना था मगर विवि की ओर से भारत के लिए फिलहाल उड़ान रद होने की ई मेल से जानकारी दी गई है।
रोजाना 12 घंटे कर रही अध्यापन
भले ही डॉ. गायत्री विवि में न हों मगर छह फरवरी से ऑनलाइन अध्ययन व शोध कार्य करा रही हैं। विवि की वेबसाइट पर ही लेक्चर लेने के लिए पूरी डिजिटल व्यवस्था की गई है। इंटरनेशनल प्रोफेसर में गायत्री अकेली हैं, जबकि तीन अन्य विशेषज्ञ भी हैं। गायत्री ने ऑनलाइन अध्यापन के लिए अपने घर में खास इंतजाम किए हैं। रोजाना 12 घंटे अध्यापन करा रही हैं। बताया कि दस साल की सेवा में पहली बार शीतकाल में अवकाश मिला मगर इतना भयानक संक्रमण फैल जाएगा, ऐसा सोचा भी नहीं था। गायत्री की मां तुलसी व पिता चंदन कठायत को संतोष है कि बेटी घर पर ही है।
इंटरनेशनल जियो कांग्रेस में पेश करेंगी रिसर्च पेपर
नैनीताल निवासी गायत्री दो से आठ मार्च तक भारत में पहली बार हो रही इंटरनेशनल जियो कांग्रेस में शोध पत्र पेश करेंगी। गायत्री ने छह लाख 40 हजार साल के मानसून के प्रभाव का विश्लेषण किया है। साथ ही ग्लोबल वार्मिंग के भावी प्रभावों पर शोध किया है। गायत्री के अनुसार नई दिल्ली में होने वाली जियो कांग्रेस में दुनिया के छह हजार वैज्ञानिक शामिल होंगे। पहल बार ब्रिटेन के गिल्बर्ट बोल्ट द्वारा भारत में मानसून के अध्ययन के लिए 1870 में एडमर्ड हेली भेजा गया था। तब पहली बार हवा की दिशा का मानचित्र बनाया गया था।
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