गौला वाहन स्वामियों की हड़ताल से घर बनाना हुआ और महंगा, समझिए तीन बिंदुओं में
गौला में वाहनस्वामियों की हड़ताल का 18 दिन बाद भी हल नहीं निकल सका। डीएम से लेकर सीएम तक मामला पहुंचने के बावजूद रेट को लेकर जारी विवाद जारी है। वहीं हड़ताल का असर खनन कारोबार के साथ आम लोगों पर भी पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : गौला में वाहनस्वामियों की हड़ताल का 18 दिन बाद भी हल नहीं निकल सका। डीएम से लेकर सीएम तक मामला पहुंचने के बावजूद रेट को लेकर जारी विवाद जारी है। वहीं, हड़ताल का असर खनन कारोबार के साथ आम लोगों पर भी पड़ रहा है। खासकर उन लोगों पर जिन्होंने हाल-फिलहाल में मकान या दुकान का काम शुरू करवाया है। क्योंकि, क्रशर संचालकों ने उपखनिज की खरीद के साथ बिक्री को भी रोक रखा है। जिस वजह से निर्माण कार्य में दिक्कत आ रही है।
पिछले साल निकलने लगी थी मिट्टी
गौला में साढ़े सात हजार वाहन चलते हैं। पिछले साल गौला में उपखनिज की मात्रा कम होने की वजह से लास्ट में मिट्टी निकलने लग गई थी। जिस वजह से वाहनस्वामियों ने भाड़ा कम दिया था। लेकिन इस बार बारिश ज्यादा होने के कारण पहाड़ से भारी मात्रा में उपखनिज आया। साथ ही गड्डे भरने की वजह से क्वालिटी भी अच्छी है। उसके बावजूद पिछले सत्र के मुकाबले भाड़ा कम दिया गया है।
डीजल के दाम भी बढ़े
वाहनस्वामियों का कहना है कि इस बार डीजल के दाम भी बढ़े हैं। ऐसे में उपखनिज ढुलान का किराया बढ़ाना चाहिए था। लेकिन क्रशर संचालकों ने मनमानी करते हुए किराया घटा दिया। ऐसे में गाड़ी चलाने के बावजूद उन्हें पैसे नहीं बचेंगे। हालांकि, 18 दिन से जारी हड़ताल का अभी तक कोई हल नहीं निकला।
नदी से मंगवाते हैं रेता
उपखनिज की जरूरत पडऩे पर लोग रेता तो नदी से मंगवा ले रहे हैं। क्योंकि, इसे क्रशर पर नहीं बेचा जाता। लेकिन बारीक बजरी, गिट्टी और धुला रेता उपलब्ध नहीं होने से दिक्कत आ रही है। ऐसे में लोगों को बारीक बजरी, गिट्टी और धुला रेता की होने के कारण खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।