चारपाई पर बीमार श्रमिक को लेकर घर पहुंचाने की गुहार लगाने आए थे, मौत हो गई, भेजने का इंतजाम न हुआ
कुदरत के कहर से रविवार दोपहर जिस मजदूर की मौत हुई शुक्रवार सुबह वो परिवार के साथ सड़क पर था। घर जाने जिद को लेकर पुलिस के सामने मिन्नतें कर रहा था।
हल्द्वानी, जेएनएन : कुदरत के कहर से रविवार दोपहर जिस मजदूर की मौत हुई, शुक्रवार सुबह वो परिवार के साथ सड़क पर था। घर जाने जिद को लेकर पुलिस के सामने मिन्नतें कर रहा था। कहना था कि वन निगम राशन देने से भी मना कर रहा है। हालांकि समझाने पर सभी घर लौट गए। मगर घर जाने की उम्मीद से पहले उसकी सांसे साथ छोड़कर चली गई। वहीं, परिवार के लोगों का आरोप है कि थाने के बाहर मदद के लिए पहुंचने पर पुलिस ने रजनेश के बड़े भाई निहाल को पीटने के साथ बैठा भी लिया। जबकि पुलिस का कहना है कि तीनों घायलों को आटो से अस्पताल भेजा गया था। सिर्फ भीड़ को भगाया गया।
गौला व अन्य नदियों में श्रमिक मजबूरी में काम कर रहे हैं। घर जाने की जिद पर अड़े मजदूरों के लिए प्रशासन स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं बन पा रही। इससे पूर्व सैकड़ों की संख्या में मजदूर कोतवाली के बाहर पहुंचे थे। शुक्रवार को गौलापार में नदी किनारे झुग्गियों में रहने वाले दर्जनों लोग बैंक्वेट हॉल के आगे सड़क पर बैठ गए थे। इसमें रजनेश का परिवार भी शामिल था। मगर मायूस होकर लौटना पड़ा। हालांकि, पुलिस ने आश्वासन दिया था कि लिस्ट तैयार हो रही है। उप्र सरकार के हामी भरने पर घर भी भेजा जाएगा। मगर रजनेश की मौत के साथ दो दिन के भीतर परिवार की आस भी टूटकर बिखर गई। वहीं, मृतक के भाई मोहन ने बताया घायल रजनेश को चारपाई में डालकर वह लोग थाने के बाहर लाए थे।
भीड़ देख पुलिस ने फटकारना शुरू कर दिया। साथ ही निहाल के साथ मारपीट भी की। तीन लोगों को तो अस्पताल भेज दिया। पर निहाल को रोक लिया। वहीं, एसओ नंदन सिंह रावत ने बताया कि मदद मांगने पर तुरंत आटो की व्यवस्था की गई थी। सिर्फ जमावड़ा लगाने वालों को भगाया गया। वहीं, पूर्व बीडीसी मेंबर अर्जुन बिष्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मदद मांगने वालों को पीटना गलता था। गौलापार के सभी जनप्रतिनिधियों में घटना को लेकर रोष है। मामले में आज अफसरों से मुलाकात कर शिकायत की जाएगी।
होली में आया था परिवार
ग्रामीणों के मुताबिक मार्च में होली के दौरान अलीगढ़ गया था। त्योहार मनाने के बाद वापस मजदूरी के लिए लौट आया। फिर 22 मार्च को लॉकडाउन पीरियड शुरू होने की वजह से सब फंस गया। काम बंद होने के साथ जब पल्ले के पैसे खत्म हुए तो खाने का संकट खड़ा हो गया।
कमर तक पानी में घुस काम रहे श्रमिक
राजस्व की खातिर खनन को फिर से खुलवाया गया है। शीशमहल गेट पर माल कम है और पानी ज्यादा। रविवार दोपहर कमर तक नदी में डूब उसे पार कर श्रमिक रेता निकाल रहे थे। जान-जोखम में डालकर मजबूरी में मजदूरी करनी पड़ रही थी।
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