अल्मोड़ा में 30 साल बाद पकड़ा गया जालसाज, फर्जी दस्तावेज के सहारे स्वास्थ्य विभाग में पाई थी नौकरी
शातिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ (बागेश्वर) में लैब असिस्टेंट के पद पर तैनात था। जांच में पता लगा कि उसने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी हासिल की। तत्कालीन सीएमओ ने उसके खिलाफ कोतवाली में धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: फर्जी कागजातों के जरिये स्वास्थ्य विभाग में नौकरी पाने के मामले में 30 साल बाद वांछित खाकी के हत्थे चढ़ सका। वह पुलिस को गच्चा देने के लिए संभल (उत्तर प्रदेश) के एक आश्रम में शरण लिए था। यहां की पुलिस ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। फरार होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस भी उसकी धरपकड़ में जुटी थी। मगर उसका सुराग नहीं लग सका।
मामला अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्ष 1991 का है। भिरावली गांव, थाना धनारी जनपद संभल निवासी नवरत्न सिंह उर्फ राजू पुत्र हरेंद्र सिंह निवासी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ (बागेश्वर) में लैब असिस्टेंट के पद पर तैनात था। जांच में पता लगा कि उसने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी हासिल की। तत्कालीन सीएमओ ने उसके खिलाफ कोतवाली में धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। बाद में न्यायालय से जमानत मिलने के बाद धोखाधड़ी का आरोपित नवरत्न फरार हो गया। अदालत के आदेश पर से अभियुक्त के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की गई। उसे फरार घोषित कर उप्र पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी। मगर वह बचता रहा।
इधर कप्तान पंकज भट्ट ने वांछितों की सूची खंगाली। नवरत्न सिंह की धरपकड़ को टीम गठित की। पुख्ता साक्ष्य मिलने पर एसआइ गौरव जोशी, कांस्टेबल बलराम सिंह व धनी राम को संभल भेजा गया। सटीक सूचना पर रजपुरा थाना क्षेत्र में हरबाबा की बांध आश्रम में दबिश देकर उसे दबोच लिया गया। वह सेवक के रूप में आश्रम में छिपा था। एसएसपी ने गुडवर्क पर पुलिस टीम को नगद पुरस्कार दिया है।