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एसटीएच में लगेंगे चार ऑक्सीजन प्लांट, पूरे कुमाऊं के अस्पतालों में होगी आपूर्ति

डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में दो ऑक्सीजन प्लांट इंस्टॉल करने के बाद अब चार नए प्लांट लगाने की स्वीकृति मिल गई। अगर सभी प्लांट इंस्टॉल हो जाएंगे तो इनसे कुमाऊं भर के अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 10:57 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 10:57 PM (IST)
एसटीएच में लगेंगे चार ऑक्सीजन प्लांट, पूरे कुमाऊं के अस्पतालों में होगी आपूर्ति
एसटीएच प्रशासन इन चारों प्लांटों को लगाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है।

गणेश जोशी, हल्द्वानी : कोरोना महामारी के दौर में ऑक्सीजन की जबरदस्त किल्लत झेलनी पड़ी थी। भविष्य में ऐसे विषम हालात से बचने के लिए सरकार ऑक्सीजन प्लांट की संख्या बढ़ाने लगी हैं। डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में दो ऑक्सीजन प्लांट इंस्टॉल करने के बाद अब चार नए प्लांट लगाने की स्वीकृति मिल गई। अगर सभी प्लांट इंस्टॉल हो जाएंगे तो इनसे कुमाऊं भर के अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी।

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चारों प्लांटों को लगाने की प्रक्रिया शुरू

डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भारत सरकार ने एक-एक हजार एलपीमए (लीटर पर मिनट) के दो ऑक्सीजन प्लांट लगाने की अनुमति दे दी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने भी एक-एक हजार एलपीएम के दो प्लांट लगाने की स्वीकृति दी है। एसटीएच प्रशासन इन चारों प्लांटों को लगाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है।

दो ऑक्सीजन प्लांट हो चुके इंस्टॉल

पिछले दो साल में दो ऑक्सीजन प्लांट लगाने की प्रक्रिया हुई। 500-500 एलपीएम के दोनों प्लांट शुरू हो चुके हैं। इसे प्रेशर स्विंग एर्डोप्शन प्लांट कहा जाता है। इस प्लांट में सीधे बाहर से हवा ली जाती है। हवा को शुद्ध कर वार्ड में सप्लाई की जाती है। एक प्लांट 24 घंटे में करीब 103 सिलिंडर ऑक्सीजन का उत्पादन कर देता है। दोनों मिलाकर इस समय लगभग 206 सिलिडंर ऑक्सीजन मिलने लगे हैं। इन प्लांट की लागत करीब दो करोड़ रुपये है।

राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा ने बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम जारी है। भारत सरकार व राज्य सरकार से एक-एक हजार के चार प्लांट को स्वीकृति मिल चुकी है। इन्हें इंस्टॉल करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इनके इंस्टॉल होने के बाद अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन जेनरेट होने लगी। इसके बाद अन्य अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी। फिर हमें अन्य एजेंसियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

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