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हरदा बोले, उज्याड़ू राजनैतिक जानवरों को भगाना होगा, रावत ने फेसबुक पर अपने अंदाज में साधा निशाना

हरदा ने फेसबुक पर लिखा कि जंगली-सूअर और बानर खेत-खलिहानों को उजाड़ कर जैसे हमारी मेहनत पर पानी फेरते हैं वैसे ही कुछ लोग अपने कामों से उत्तराखंड के मेहनती युवाओं महिलाओं व बुजुर्गों के सपनों को उज्याड़ रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 09:23 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 09:23 AM (IST)
हरदा बोले, उज्याड़ू राजनैतिक जानवरों को भगाना होगा, रावत ने फेसबुक पर अपने अंदाज में साधा निशाना
उत्तराखंड और उत्तराखंडियत को बचाने के लिये जरूरी है कि इन उज्याडू राजनैतिक जानवरों को भगाया जाये।

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया पर टिप्पणी से विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए उन्हें राजनीति के उज्याड़ू जानवर कहा है। हरदा ने फेसबुक पर लिखा कि जंगली-सूअर और बानर , खेत-खलिहानों को उजाड़ कर जैसे हमारी मेहनत पर पानी फेरते हैं, वैसे ही कुछ लोग अपने कामों से उत्तराखंड के मेहनती युवाओं, महिलाओं व बुजुर्गों के सपनों को उज्याड़ रहे हैं। उत्तराखंड और उत्तराखंडियत को बचाने के लिये जरूरी है कि इन उज्याडू राजनैतिक जानवरों को भगाया जाये।

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों से ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष व प्रदेश कांग्रेस की वरिष्ठ नेता डा. इंदिरा हृदयेश के निधन से कांग्रेस को बड़ी क्षति पहुंची। प्रीतम सिंह, डा. इंदिरा हृदयेश व हरीश रावत के सामूहिक नेतृत्व में भाजपा के खिलाफ चुनावी रणनीति बननी थी। हालांकि, सत्ता में वापसी को लेकर कांग्रेस अब चूकना नहीं चाहती। संभावना है कि नए नेता प्रतिपक्ष के चयन के बाद सभी दिग्गज एकजुट होकर मोर्चा संभालेंगे। इसमें हरदा की सबसे अहम भूमिका रहेगी। ऐसे में हरीश रावत अपने चिर-परिचित अंदाज में फिलहाल इंटरनेट मीडिया पर अपने बयानों से सरकार को घेरने में जुटे हैं। जमीनी रणनीति बनाने में भी हरदा का सियासी अनुभव पार्टी के लिए सबसे बड़ी उम्मीद है।

भरी दोपहरी योजना का कत्ल कर दिया

इससे पूर्व हरीश रावत ने एक और पोस्ट के जरिये भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की। फेसबुक पर लिखा कि मेरा गांव मेरी सड़क योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में सड़क संपर्क बढ़ाने का प्रयास किया था। हर ब्लॉक में एक साल में तीन सड़क बनाने को मंजूरी दी थी। इस योजना के सफल होने पर जिला पंचायत सदस्यों ने आग्रह किया तो उनके उत्साह को देखते हुए एक सड़क और जोड़ दी। यानी अब हर ब्लॉक में चार सड़कें बननी थी। लेकिन भाजपा सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया। लेकिन तब तक 250 से ज्यादा सड़क बन चुकी थी।

आज जब मैं देख रहा हूं कि एक किमी या दो किमी की सड़क को गांव की मुख्य सड़क से जोडऩे के लिए लोग श्रमदान कर सड़कें बना रहे हैं। यदद्यि श्रमदान के पीछे छीपी भावना का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। उस समय मुझे मेरा गांव मेरी सड़क योजना की बहुत याद आ रही है। हरदा ने लिखा कि भाजपा सरकार ने ठीक भरी दोपहरी में मेरा गांव-मेरी सड़क योजना का कत्ल कर दिया।

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