जंगल से सटे क्वारंटाइन सेंटर में दरवाजा तक नहीं, यहां तेंदुआ मवेशियों को बना चुका है निवाला
बागेश्वर का एक ऐसा क्वारंटाइन सेंटर यानी प्राइमरी स्कूल जंगल से सटा हुआ है। सांप-कीड़ों से ज्यादा यहां तेंदुए का खतरा है। हालत ये है कि उसमें दरवाजा तक नहीं है।
हल्द्वानी, जेएनएन : दो दिन पहले बेतालघाट में एक मासूम को क्वारंटाइन सेंटर में सांप ने डस लिया, जिससे उसकी मौत हाे गई। अपेक्षा थी कि मासूम की मौत के बाद प्रशासन जागेगा और अपनी जिम्मेदारी समझेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। गांवों के क्वारंटाइन सेंटर की सुरक्षा और साफ-सफाई काे लेकर जरा भी सतर्कता नहीं बरती गई। वहीं बागेश्वर का एक ऐसा क्वारंटाइन सेंटर यानी प्राइमरी स्कूल जंगल से सटा हुआ है। सांप-कीड़ों से ज्यादा यहां तेंदुए का खतरा है। हालत ये है कि उसमें दरवाजा तक नहीं है। प्रवासियों ने वहां दरवाजे धोती टांगकर काम चला रहे हैं। यहां लोगों की रात खाैफ में गुजरती है।
तेंदुआ कई बार मवेशियों को बना चुका हैं शिकार
प्रवासियों के लौटने का सिलसिला अभी थमने वाला नहीं है। बड़े शहरों से जैसे-तैसे ये लोग जान बचाकर घर पहुंच रहे हैं, मगर सिस्टम को इनकी कोई परवाह नहीं। हादसे के बावजूद व्यवस्थाओं में बदलाव करने की जरूरत हीं नहीं समझी गई। पानी-बिजली और शौचालय की समस्या तो जैसे-तैसे झेल रहे थे, लेकिन कई जगहों पर जान ही आफत में पड़ चुकी है। बागेश्वर के जिनखोला प्राइमरी स्कूल में ठहरे शंकर लाल, आनंद राम व शंकरलाल ने बताया कि गांव में जंगली जानवरों का आतंक लंबे समय से है। तेंदुए कई बार मवेशियों को अपना निवाला बना चुके हैं, लेकिन कमरे में दरवाजा और खिड़कियों में जाली तक नहीं है। दोनों जगह पर घर से धोती लाकर बांध रखी है।
बेतालघाट में छिड़काव तक नहीं किया गया
नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक में सोमवार को सांप के डसने से मासूम की मौत के बाद भी जिम्मेदार नहीं चेते। मंगोली, बजून, खमारी के क्वारंटाइन सेंटर में प्रवासी रखे गए हैं। मूलभूत सुविधाओं की कमी तो पहले से थी, मगर हादसे के बावजूद यहां कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया गया। सोमवार रात उलगोर स्थित प्राइमरी स्कूल में भी सांप घुस गया था। उसे लकड़ी से दूर भगाया गया।
जांच टीम रोज नहीं आती
वीवीआइपी ब्लॉक में शामिल हल्द्वानी में कुल 70 क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। शिकायत है कि स्वास्थ्य चेक करने को रोज टीम नहीं पहुंच पाती। किसी की तबीयत बिगड़ने पर प्रधान फोन कर सूचना देते हैं। उसके बाद टीम आती है। जब हल्द्वानी की यह स्थिति है तो पहाड़ में क्या हाल होगा। समझ सकते हैं।
प्रधान व बीडीसी सदस्य बने चौकीदार
गौलापार के आदर्श इंटर कॉलेज में दस लोग रखे गए हैं। प्रधान पति नीरज रैक्वाल व बीडीसी मेंबर धर्मेंद्र रैक्वाल सुबह से रात तक ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। सुरक्षाकर्मी मिलने का दावा भी हवाई साबित हुआ। स्कूल में घास व झाड़ियां उगने के कारण सांपों का डर बना हुआ था। जिसके बाद नीरज व धर्मेंद्र ने उन्हें उखड़वाने के बाद आग लगाकर सफाई की।
जंगली जानवर के हमले का डर
बेतालघाट के फगुनियाखेत में चार युवक प्राइमरी स्कूल में रुके हैं। रात का खाना इन लोगों द्वारा घर से मंगाया जाता है। घर दूर होने के कारण रात में खाना लाने वाले बच्चे जंगली जानवरों को लेकर डरे हुए हैं। वहीं सेंटर में टंकी खराब होने के कारण पानी का संकट भी खड़ा हो चुका है। ग्राम प्रधान बजट नहीं मिलने के कारण बेबस है।
स्कूल में बिजली गुल, होटल में ठहरे प्रवासी
रामनगर के गैबुआ गांव के प्राइमरी स्कूल में बिजली की व्यवस्था नहीं होने से प्रवासियों के सामने संकट खड़ा हो गया। दिक्कत यह है कि गांव में पंचायतघर तक नहीं है। जिसके बाद ग्राम प्रधान माया गोस्वामी ने प्रवासियों को रखने के लिए होटल के आठ कमरे किराए पर लिए है, मगर अभी और लोगों के लौटने से दिक्कत बढ़नी लाजिमी है। प्रधान द्वारा डीएम को पत्र भेज समस्या बताई गई है।
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