आपदा के बाद से धारचूला में टेंट में रहने को मजबूर हैं पांच परिवार
मकानों के आंगन ढह गई घर के आंगन सहित आसपास की जमीन में चौड़ी दरारें आ गई। मकान हवा में लटके हैं। पांच परिवार टेंट लगाकर सुरक्षित स्थान पर रह रहे हैं। मार्ग बंद होने से अभी तक यहां कोई भी कर्मचारी और अधिकारी नहीं पहुंचा है।
जागरण संवाददाता, धारचूला (पिथौरागढ़) : गत दिनों के बारिश के दिए जख्म गहरे होते जा रहे हैं। चीन और नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में हुई तबाही के आंकड़े प्रशासन को मिलने लगे हैं। तहसील के तल्ला दारमा के खेत न्याय पंचायत के जम्कू गांव के बोयापानी तोक में पांच परिवार टेंटो में जीवन गुजार रहे हैं।
इस बार के मानसून काल में बारिश सबसे अधिक गहरे जख्म तल्ला दारमा को ही देकर गई है। मानसून काल में यह क्षेत्र मार्ग बंद होने से 110 दिन तक अलग थलग पडा रहा। मार्ग खुलने से तहसील मुख्यालय से जड़े अभी कुछ ही दिन बीते थे कि 17 से 19 अक्टूबर की बारिश ने क्षेत्र को फिर से अलग थलग कर दिया है। एक तरफ मार्ग नहीं है तो दूसरी तरफ संचार की सुविधा तक नहीं है। 18 और 19 अक्टूबर को खेत न्याय पंचायत के अंतर्गत आने वाले जम्कू गांव के खोयापानी तोक में चार परिवारों को आपदा गहरा दर्द के गई है।
बारिश के दौरान तोक के सुरेंद्र सिंह पुत्र राम सिंह, लक्ष्मण सिंह पुत्र राम सिंह, त्रिलोक सिंह पुत्र गगन सिंह, नर सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह और मोहन सिंह पुत्र गगन सिंह के मकान क्षतिग्रस्त हो गए। मकानों के आंगन ढह गई , घर के आंगन सहित आसपास की जमीन में चौड़ी दरारें आ गई। मकान हवा में लटके हैं। पांच परिवार टेंट लगाकर सुरक्षित स्थान पर रह रहे हैं। मार्ग बंद होने से अभी तक यहां कोई भी कर्मचारी और अधिकारी नहीं पहुंचा है। सूचना तहसील प्रशासन को मिल चुकी है।
एसडीएम एके शुक्ला ने बताया कि क्षेत्र के पटवारी के दारमा में होने के कारण यहां तक पहुंचने में विलंब हुआ। सूचना मिलते ही पटवारी को निर्देशित कर दिया गया था। पटवारी गांव तक पहुंच कर क्षति का आगणन कर चुका है। पांच परिवारों को हुई क्षति का भी मुआइना कर दिया गया है। प्रभावित परिवारों तक तत्काल राहत भेजी जा रही है।