हल्द्वानी में बनकर तैयार हुआ राज्य का पहला सरकारी स्क्वैश कोर्ट, प्रैक्टिस से निखरेगा खेल
उत्तराखंड में खेल संसाधनों का अभाव किसी से छिपा नहीं है। इसके बावजूद खेल के क्षेत्र में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। क्रिकेट हॉकी वॉलीबॉल बैडमिंटन कराटे जैसा खेल काफी लोकप्रिय है। इसी तरह स्क्वैश खेल को भी लोकप्रिय बनाने की भी कोशिश जारी है।
हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड में खेल संसाधनों का अभाव किसी से छिपा नहीं है। इसके बावजूद खेल के क्षेत्र में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। क्रिकेट, हॉकी, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, कराटे जैसा खेल काफी लोकप्रिय है। इसी तरह स्क्वैश खेल को भी लोकप्रिय बनाने की भी कोशिश जारी है। इसके लिए सबसे पहली जरूरत है एक कोर्ट की। हल्द्वानी शहर में खेल विभाग का पहला स्क्वैश कोर्ट बनकर तैयार हो चुका है। बेहतर प्रचार-प्रसार और विभाग के ढीले रवैये के चलते शायद ही किसी को इसकी जानकारी होगी। बद्रीपुरा स्थित मिनी स्टेडियम में स्क्वैश के लिए तीन कोर्ट बनाए गए हैं। जिनमें अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले खेले जा सकेंगे।
हस्तांतरण न होने से बढ़ा इंतजार
स्क्वैश कोर्ट का निर्माण उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने किया है। लेकिन पूरा बजट न मिल पाने के कारण अब तक निगम द्वारा इस कोर्ट को खेल विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया है और न ही खेल विभाग ने कोई दिलचस्पी दिखाई।
ऐसे खेला जाता है स्क्वैश
यह खेल टेनिस की ही तरह खेला जाता है। फर्क है तो बस नियमों और गेंद का। स्क्वैश में बीच में कोई नेट नहीं लगा होता है और न ही दोनों तरफ से खिलाड़ी। इस खेल में प्रतिद्वंदी खिलाड़ी एक ही तरफ होते हैं जो रैकेट के जरिए एक छोटी रबर की गेंद को दीवार पर पटकते हैं।
कोर्ट की ये है खासियत
इंडोर स्क्वैश कोर्ट की खासियत ये है कि यहां एक कोर्ट खिलाडिय़ों के प्रेक्टिस के लिए बना हुआ है। जबकि दो कोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर बनाए गए हैं। इसी के ठीक ऊपर विपरीत तरफ दर्शक दीर्घा बनी हुई है। जिसमें एक बार में करीब 50 लोग एक मुकाबले का लुत्फ उठा सकते हैं।
और भी हैं सुविधाएं
जिस बिल्डिंग में स्क्वैश कोर्ट बना है उसी के अन्य तल में चार बैडमिंटन कोर्ट, जिम्नेजियम हॉल, एक टेबल टेनिस कोर्ट भी है। स्क्वैश कोर्ट बनने के बाद अब खिलाडि़यों को प्रैक्टिस कर खेल निखारने का बेहतर मौका मिल सकेगा।