जंगल को आग से बचाने वाला वन विकास निगम का आमडण्डा डिपो खुद आग पर
जंगल को आग से बचाने वाला वन विकास निगम का आमडण्डा डिपो खुद आग पर ढेर पर सजा है। जरा सी चिंगारी डिपो में रखी बेशकीमती लकड़ियों को स्वहा कर देगी। क्योंकि इनके पास अग्नि शमन के लिए पुख्ता इंतजाम तक नहीं है।
रामनगर, जागरण संवाददात : जंगल को आग से बचाने वाला वन विकास निगम का आमडण्डा डिपो खुद आग पर ढेर पर सजा है। जरा सी चिंगारी डिपो में रखी बेशकीमती लकड़ियों को स्वहा कर देगी। क्योंकि इनके पास अग्नि शमन के लिए पुख्ता इंतजाम तक नहीं है। इनकी लापरवाही का खामियाजा डिपो के नीचे बसी पम्पापुरी की करीब तीन हजार की आबादी भुगतेगी। या यूं कहें कि वन निगम खुद बारूद के ढेर पर बैठकर अपने नीचे आग सुलगाने की बाट जोह रहा है।
दो किमी के दायरे में फैला है करोबार
वन विकास निगम का लकड़ी का कारोबार दो किलोमीटर के दायरे में फैला हुवा है जिसमे चीड़, कूकाट, साल, खैर, सागौन, लिप्टिस, आदि अरबों रुपये घन मीटर लकड़ी खुले आसमान के नीचे पड़ी है। हजारों घनमीटर में तो चीड़ पड़ी है। भगवान न करे कभी यहां आग लगे। अगर आग लगी तो चीड़ और खैर की लकड़ी उसमें घी का काम करेगी।
नाकाफी है डिपो में इंतजाम
डिपो में आग बुझाने के इंतजाम नाकाफी है। कहने को निगम के पास आधा दर्जन आग बुझाने के सिलेंडर है। इतने ही पानी के छोटे छोटे टैंक बनाये गए है पर उनमे भी पानी बहुत कम मात्रा में है। कही कही पर रेता भी डाला गया है मगर वह इतना पुराना हो चला है कि आग लगने जे दौरान वह काम आने वाला नहीं है। इतने बड़े क्षेत्र में भले ही फायर वाचर रखे हों मगर जब व्यवस्था ही न के बराबर होगी तो फायर वाचर भी क्या काम कर पाएंगे।
मानव और वन्य जीव दोनो के जीवन पर खतरा
अगर दुर्भाग्य से कभी आग लग गयी तो निगम की तलहटी में बसी पम्पापुरी की लगभग दो हजार की आबादी की जान पर बन आएगी। अगर आग का रुख पश्चिम को हुवा तो वन्य कार्बेट के बिजरानी के जंगल को खतरा हो सकता है। जिसमे विचरण करने वाले वन्यजीवों की जान पर बन आने में देर नही लगेगी। इतने बड़े क्षेत्रफल में आग बुझाने के संयंत्रों के बारे में वन विकास निगम के प्रभागीय विक्रय प्रबंधक सिंग राय सुरीन कहते हैं आग से सुरक्षा की व्यवस्था पर्याप्त है। पानी का टेंकर खड़ा है, पानी की होदिया बनी है इसके अलावा रेता रखा हर। चार पाँच सिलेंडर रखे हैं।
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