बीज उपचार कर गन्ने को 50 फीसद बीमारियों से बचाएं किसान, बता रहे हैं कृषि वैज्ञानिक
गन्ने में लगने वाले पोक्हा बोइंग कंडुआ समेत तमाम रोगों से किसानों को भारी नुकसान होता है। बीज उपचार के जरिए इन रोगों पर 50 फीसद तक काबू पाया जा सकता है। किसान गन्ने की बुवाई के दौरान बीजों को कीटनाशक का प्रयोग करके बोएं तोबीमारियां दूर हो सकती हैं।
काशीपुर, जागरण संवाददाता : गन्ने में लगने वाले पोक्हा बोइंग, कंडुआ समेत तमाम रोगों से किसानों को भारी नुकसान होता है। बीज उपचार के जरिए इन रोगों पर 50 फीसद तक काबू पाया जा सकता है। अगर किसान गन्ने की बुवाई के दौरान बीजों को कीटनाशक का प्रयोग करके बोएं तो आधे से ज्यादा बीमारियां दूर हो सकती हैं। इस तरह किसान गन्ने को बीमारियों से बचा कर आय बढ़ा सकते हैं। गन्ना अनुसंधान केंद्र काशीपुर बीमारियों के संबंध में लगातार किसानों को जागरूक कर रहा है।
तराई व प्रदेश के अन्य हिस्सों में इन दिनों कोसा-8436, कोपंत-97222, कोपंत-84212, कोसा-96268, को-0238, को-767 आदि प्रजातियों का गन्ना बोया जाता है। इस गन्ने में कई तरह के रोग लगने के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। किसान पूरी मेहनत खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करने के बाद भी उतना मुनाफा हासिल नहीं कर पाते जितना करना चाहिए। इसका एक बड़ा कारण गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों को माना जाता है।
फसल में रोग लगने के चलते उत्पादन घट जाता है। गन्ना अनुसंधान केंद्र काशीपुर के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को बुवाई से पहले गन्ने का कीटनाशकों का प्रयोग कर बीज उपचार करना चाहिए। पहले तो किसानों की यह कोशिश हो कि जो गन्ना व खेत में बोएं उसमें पहले से कोई बीमारी ना हो। इसके अलावा गन्ने के टुकड़ों को काटकर कार्बेंडाजिम कीटनाशक के घोल में डुबोकर रख दें, ताकि गन्ने के बीज में पहले से मौजूद बीमारियां खत्म हो जाएं।
कृषि वैज्ञानिक गन्ना अनुसंधान केंद्र काशीपुर सिद्धार्थ कश्यप ने बताया कि हमेशा देखा जाता है कि रोगों के चलते गन्ना उत्पादन घट जाता है। ऐसे में किसानों की उपज भी कम होती है और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। इसकी एक बड़ी वजह गन्ने में लगने वाले रोग हैं। अगर किसान बीज उपचार करके गन्ना बोएं तो 50 फीसद तक बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।
गन्ने में यह लगती है बीमारियां
इन दिनों तराई में बोए जाने वाली गन्ने में मुख्य रूप से पोक्हा बोइंग, कंडुआ, लाल सड़न, उकठा रोग, पोकहा बोइंग, गन्ना मोजैक, घसैला रोग, पीतपत्र रोग आदि रोग लगते हैं। इन बीमारियों पर बीज उपचार करके 50 फीसद तक काबू पाया जा सकता है।