रामनगर में परपंरागत खेती छोड़कर किसान तैयार कर रहे आम-लीची के बागान
जंगली जानवरों से परेशान किसान अब धान गेहूं व गन्ने की खेती छोड़कर आम लीची के बागान लगा रहे हैं। यही वजह है कि इन पांच सालों में रामनगर क्षेत्र में 200 हेक्टेयर क्षेत्र में आम व लीची के 55600 पेड़ लगाए।
रामनगर, जेएनएन : जंगली जानवरों से परेशान किसान अब धान, गेहूं व गन्ने की खेती छोड़कर आम, लीची के बागान लगा रहे हैं। यही वजह है कि इन पांच सालों में रामनगर क्षेत्र में 200 हेक्टेयर क्षेत्र में आम व लीची के 55,600 पेड़ लगाए। जबकि अकेले फल पट्टी क्षेत्र में 46 हेक्टेयर क्षेत्र में 12760 बगीचे स्थापित किए गए।
रामनगर में जंगल से गांव सटे होने की वजह से वन्य जीवों किसानों की खेती को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे मेें कुछ सालों से काश्तकारों का मोह खेती से बगीचे की ओर हुआ है। उद्यान विभाग से मिले आंकड़ें इसकी तस्दीक करते हैं। पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो 538 किसानों द्वारा अपनी दो सौ हैक्टेयर क्षेत्र में 55600 आम व लीची के पौधे लगाए गए जो अब बगीचे में तब्दिल हो चुके हैं।
आम व लीची के पौधों को उद्यान विभाग द्वारा निशुल्क ही किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं। कई किसानों द्वारा बाहर नर्सरी से भी आम व लीची के पौधे खरीदकर लगाए गए हैं। लोगों का रूझान उद्यान की ओर हो रहा है। आम व लीची के पेड़ पांच साल से फल देने लगते हैं। उद्यान विभाग के प्रभारी एएस परवाल ने बताया कि उद्यान विभाग द्वारा आम व लीची के निशुल्क पौधे देने के साथ ही तकनीकी जानकारी भी किसानों को दी जाती है। कीट व्याधि दूर करने के लिए भी दवाई किसानों को विभाग देता है। किसान खेती छोड़कर बगीचे स्थापित करने के लिए आगे आ रहे हैं।
वर्ष 2015-16 7.68 हैक्टेयर 2135 पौधे
2016-2017 4.49 1247
2017-2018 7.55 2100
2018-2019 8.35 2322
2019-2020 9.68 2692
2020-2021 8.14 2264
वन्यजीव पहुंचाते हैं फसलों को नुकसान
काश्तकार मनमोहन सिंह बिष्ट ने बताया कि जंगल से सटे खेत हैं। ऐसे में धान व गेहूं की फसलों को वन्य जीव नुकसान पहुंचाते हैं। सब्जियों को सुंअर बर्बाद कर रहे हैं। इसलिए किसान अब बगीचे लगा रहे हैं। बगीचे से कोई नुकसान नहीं है।