विधानसभा चुनावों में पब्लिसिटी के लिए तैयार किए जा रहे फेक सोशल मीडिया अकाउंट, खुफिया विभाग रख रहा नजर
Fake Social Media Accounts चुनावी तैयारियों में इंटरनेट मीडिया की बड़ी भूमिका देखने को मिल रही है। इसी बीच ऊधमसिंह नगर जिले में इंटरनेट मीडिया में फर्जी अकाउंट के जरिए पोस्ट शेयरिंग लाइक और कमेंट का खेल शुरू हो चुका है।
अभय कुमार पांडेय, काशीपुर : चुनावी तैयारियों में इंटरनेट मीडिया की बड़ी भूमिका देखने को मिल रही है। इसी बीच ऊधमसिंह नगर जिले में इंटरनेट मीडिया में फर्जी अकाउंट के जरिए पोस्ट शेयरिंग, लाइक और कमेंट का खेल शुरू हो चुका है। ऐसे में इंटरनेट मीडिया मैनेजमेंट के नाम पर सैकड़ों फर्जी अकाउंट खोलने की बात सामने आ रही हैं। इसके लिए कई एजेंसियां और इंटरनेट मीडिया से जुड़े कुछ लोगों द्वारा आभासी दुनिया में पूरा नेटवर्क बुना गया है। राजनीतिक दलों के नेताओं के पब्लिसिटी स्टंट को वायरल करने के लिए इन फर्जी अकाउंट का सहारा लिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो केवल काशीपुर में 400 से च्यादा ऐसे फर्जी अकाउंट हैंडलिंग की जानकारी आ रही है।
वर्तमान समय में इंटरनेट माध्यम एक ऐसा हथियार बन गया है जिसका उपयोग सकारात्मक दृष्टि से तो बेहद लाभदायक है लेकिन नकारात्मक सोच से कई खतरे भी पैदा हो सकते हैं। इसी बीच चुनावी बयार में टिकट पाने की दावेदारी और राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए इंटरनेट मीडिया के जरिये अपना प्रचार प्रसार कराना कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं को सबसे सरल माध्यम दिख रहा है। आज तकरीबन हर घर में स्मार्ट फोन है, यही कारण है कि प्रचार प्रसार का काम देखने वाली कंपनियां इस मौके को भुनाने में नियमों को ताक पर रख अपने धंधे को अंजाम देना चाहती हैं। एसपी, काशीपुर प्रमोद कुमार ने बताया कि सोशल मीडिया मॉनीटरिंग सेल लगातार ऐसे संदिग्ध लोगों पर नजर बनाए हुए है, अगर कहीं भी फर्जी एकाउंट चलाने और पोस्ट को लेकर शिकायत मिलती है तो ऐसे लोगों पर शिकायत भी दर्ज की जाएगी।
लाइक, शेयर ओर कमेंट के खेल का समझिए...
इंटरनेट मीडिया पोस्ट पर अधिक लोगों तक रीच बढ़ाने के लिए कमेंट, लाइक और व्यू का खेल होता है। किसी के प्रचार प्रसार में फेसबुक और ट्यूटर जैसे माध्यमों से पोस्ट को बार-बार शेयर करने से उसकी आम लोगों तक पहुंच बढ़ती है। अगर किसी राजनीतिक दल के नेता के पास व्यू और लोगों तक रीच कम है तो उसे इंटरनेट मीडिया पर ज्यादा महत्व नहीं मिल पाता। कई ऐसी सख्शियत हैं जिनके इंटनेट मीडिया पर पहले सक्रिय न रहने पर भी कुछ महीनों में ही हजारों फॉलोअर अचानक तैयार हो जाते हैं। इसी होड़ में कुछ कंपनी और लोगों द्वारा फॉलोअर बढ़ाने और पोस्ट पर व्यू बढ़ाने के लिए एक टाईअप किया जाता है जो इंटरनेट मीडिया मैनेजमेंट कहा जाता है। इसकी जरिये कुछ लोग गलत रास्ते का इस्तेमाल कर विभिन्न नेटवर्क साइटों पर युवक- युवतियों के नाम से फर्जी अकांउट बनाते हैं और इसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति विशेष या संगठन के प्रचार में किया जा रहा है।
फर्जी अकाउंट के साथ कंटेंट पर खुफिया विभाग की नजर
जिले में फर्जी अकाउंट को लेकर खुफिया विभाग के साथ साइबर सेल की नजर है। कई अकांउट की स्क्रीङ्क्षनग शुरू की जा रही है। सूत्रों की मानें तो इनमें अकाउंट में कई कामन इंट्री सामने आ रही है, जिसमें विद्यालय व यूनिवर्सिटी के नाम में काफी समानता है। इन अकाउंट को बनाने की तिथियां भी सामान हैं। इनमें कई ऐसे अकाउंट भी सामने आ रहे हैं जो एक ही आइपी एड्रेस से तैयार किए गए हैं। इन अकाउंट से सबसे बड़ा खतरा कंटेंट प्रसारित करने को लेकर है।
बिना रजिस्ट्रेशन के चलने वाले पोर्टल और यू टूयूब पर भी नजर
सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनावों को देखते हुए अचानक इंटरनेट मीडिया प्लेटफाफार्म पर यू ट््यूब चैनल और पोर्टल की बाढ़ आ गई है। ऐसे में इनके द्वारा प्रसारित कंटेंट और इनकी प्रमाणिकता पर प्रशासन नए सिरे से स्क्रीङ्क्षनग कराने पर जोर देने जा रहा है। इसमें इनके हाल के कंटेंट और विश्वसनीयता की जांच की जाएगी। भ्रामक जानकारियां फैलाने और बिना तथ्यों के आधार पर चलने वाले सूचनाओं पर भी नजर रहेगी। इसमें धाॢमक और सामजिक तौर पर माहौल बिगाडऩे वालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज होगा।