Factionalism in Uttarakhand congress : सल्ट उपचुनाव में कहीं भारी न पड़ जाए कांग्रेस में गुटबाजी
Factionalism in Uttarakhand congress सूबे में नेतृत्व परिवर्तन के बाद सल्ट विधानसभा उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए अहम हो गई है। भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के असामयिक निधन से खाली सीट पर दोनों पार्टियों ने ताकत झोंक रखी है।
अल्मोड़ा, जागरण संवाददाता : Factionalism in Uttarakhand congress : सूबे में नेतृत्व परिवर्तन के बाद सल्ट विधानसभा उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए अहम हो गई है। भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के असामयिक निधन से खाली सीट पर दोनों पार्टियों ने ताकत झोंक रखी है। दोनों ही पार्टियों में दावेदारों ने गोलबंदी शुरू कर दी है लेकिन प्रत्याशी का नाम फाइनल नहीं हो सका है। करीब 95 हजार वोटर्स वाली ठाकुर बहुल सीट पर कांग्रेस को प्रत्याशी तय करने में खासी मुश्किल सामने आने वाली है। भाजपा जहां जीना के परिवार से ही किसी को टिकट देकर सिंपैथी गेन करना चाहेगी है वहीं कांग्रेस में गुटबाजी आड़े आ रही है। टिकट के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और एक समय तक उनके बेहद रहे कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रणजीत रावत गुट आमने-सामने खड़े नजर आ रहे हैं।
17 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव के लिए सरगर्मी तेज हो गई है। कांग्रेस के सामने गुटबाजी संकट की तरह खड़ी है। यहां पूर्व विधायक और कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रणजीत रावत सल्ट के ही रहने वाले हैं। जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का पैतृक गांव भी सल्ट की विधानसभा से ही लगा हुआ है। रणजीत अपने बेटे और वर्तमान में ब्लाक प्रमुख सल्ट विक्रम रावत के लिए दावेदारी कर रहे हैं तो इससे बीते चुनाव में हार चुकीं कांग्रेस प्रत्याशी स्याल्दे निवासी गंगा पंचोली ने भी दावेदादी ठोंकी है। वह पूर्व सीएम हरीश रावत की करीबी बताई जाती हैं। इनके अलावा कांग्रेस से ही ब्लाक कांग्रेस कमेटी सल्ट के अध्यक्ष शंबू सिंह समेत कुछ अन्य नेताओं ने भी प्रदेश अध्यक्ष के सामने अपनी दावेदारी पेश ही है।
हरदा ने कहा था जीना को समर्पित कर देनी चाहिए सीट
रणजीत रावत ने 2017 में भी विक्रम रावत के लिए टिकट मांगा था, लेकिन तब पार्टी ने गंगा पंचोली को उम्मीदवार बनाया था। पंचोली तब मात्र ढाई हजार वोटों के अंतर से सुरेंद्र सिंह जीना से चुनाव हार गई थी। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत के एक बयान ने कांग्रेस में हलचल मचा दी थी। रावत का बयान आया था कि उनका व्यक्तिगत मत है कि कांग्रेस को इस सीट को स्वर्गीय जीना को समर्पित कर देना चाहिए। रावत के बयान के बाद रणजीत बौखला डठे थे। हालांकि अब कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ मैदान में आ गई है। दावेदारों के नामों पर मंथ शुरू हो गया है।
हरदा के राइट हैंड हुआ करते थे रणजीत
हरीश रावत के सीएम रहते रणजीत रावत उनके राइट हैंड हुआ करते थे। हरीश सरकार के वक्त कांग्रेस नेता रणजीत रावत की तूती बोलती थी। सरकार की तमाम व्यवस्थाएं रणजीत ही देखा करते थे। लेकिन रावत की सीएम पद से विदाई के बाद दोनों नेताओं में खटपट शुरू हो गई। हालात ऐसे हो गए कि हरीश रावत का साथ छोड़कर रणजीत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के करीब पहुंच गए। एक बयान में तो रणजीत ने यहां तक कह दिया था कि हरीश रावत उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच चुके हैं जहां उन्होंने अपना संतुलन खो बैठा है। बताया जाता है कि दोनों तेताओं के बीच दरार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुई और यूथ कांग्रेस के चुनाव के बाद यह दरार खाई में तब्दील हो गई। लंबे अरसे से दोनों नेताओं के बीच बातचीत न के बराबर है। आम चुनाव के दौरान भी रणजीत ने दूरी बनाए रखी।
2007 के बाद से इस सीट पर भाजपा का कब्जा
राज्य के पहले विधानसभा चुनाव-2002 में कांग्रेस के रणजीत रावत सल्ट से विधायक बने। इस बीच 2007 के परिसीमन में भिकियासैंण सीट को सल्ट में मर्ज कर दिया गया। 2007 के बाद से इस सीट पर वर्तमान तक बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह जीना का दबदबा रहा। वे 2007, 2012, 2017 का चुनाव लगातार जीतते आ रहे थे। लेकिन, दुर्भाग्य से कोरोना संक्रमण के कारण इसी महीने जीना का दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। देहांत के बाद अब उनकी राजनीतिक विरासत को कौन आगे बढ़ाएगा। इसको लेकर पार्टी के भीतर मंथन शुरू हो गया है।
भाजपा ने दावेदारों के नाम आलाकमान को भेजे
दो रोज पहले ही पार्टी ने कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी को सल्ट भेजा। कमेटी ने संभावित दावेदारों के नामों की सूची तैयार करने समेत अन्य बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सौंपी है। जिनमें छह दावेदारों के नाम हैं। इनमें विधायक जीना के भाई महेश जीना के अलावा दिनेश मेहरा, डा.यशपाल रावत, गिरीश कोटनाला, प्रताप सिंह व राधारमण शामिल हैं। जल्द ही भाजपा अपने पत्याशी का ना घोषित कर सकती है।
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