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Uttarakhand Assembly Elections 2022 : उत्‍तराखंड में पूर्व सैनिकों को साधने की जुगत में राजनीतिक पार्टियां, यहां समझें पूरा समीकरण

Uttarakhand Assembly Elections 2022 सैनिकों के नाम पर सियासत कोई नई बात नहीं है। सीमा और उसके भीतर सैनिकों की हर गतिविधि का असर पूरे देश में होता है। सैनिक बहुल प्रदेश होने के नाते उत्तराखंड के लिए यह और अहम हो जाता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 10:05 AM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 10:05 AM (IST)
Uttarakhand Assembly Elections 2022 : उत्‍तराखंड में पूर्व सैनिकों को साधने की जुगत में राजनीतिक पार्टियां, यहां समझें पूरा समीकरण
उत्‍तराखंड में पूर्व सैनिकों को साधने की जुगत में राजनीतिक पार्टियां, यहां समझें पूरा समीकरण

चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा : Uttarakhand Assembly Elections 2022 :सैनिकों के नाम पर सियासत कोई नई बात नहीं है। सीमा और उसके भीतर सैनिकों की हर गतिविधि का असर पूरे देश में होता है। सैनिक बहुल प्रदेश होने के नाते उत्तराखंड के लिए यह और अहम हो जाता है। इन्हीं अवसरों को चुनाव के समय पाॢटयां भुनाने में लग जाती हैं। अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सम्मान समारोह, पद यात्रा एवं बैठक आदि के माध्यम से पूर्व सैनिकों को साधने में जुटी हैं। यहां तक कि उनके लिए टिकट में आरक्षण की बात भी कही जा रही है।

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प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। देवभूमि को वीर सैनिकों की भूमि भी कहा जाता है। यहां हर जगह सैनिकों के शौर्य और वीरता की गाथाएं गाई जाती हैं। आबादी के अनुसार हर छठा व्यक्ति सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है। वहीं तीन हजार सैनिक प्रतिवर्ष सेवानिवृत्त होते है। सीमा पर जवान शहीद होता है तो उसका सबसे पहले यहीं असर होता है। 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी। लोकसभा चुनाव से पहले 2019 में पुलवामा हमला हुआ। दोनों चुनावों में यह पक्ष व विपक्ष के लिए भी बड़े मुद्दे बने।

इधर, 2022 के विधानसभा चुनाव के लिहाज से फिलहाल प्रदेश की सियायत फिर से सैनिकों के आसपास घूम रही है। सैनिक सम्मान यात्रा, समारोह, बैठकों को जबरदस्त दौर चल रहा है। भाजपा और कांग्रेस के बीच तो इन आयोजनों को लेकर जबरदस्त होड़ मची है। मूलभूत समस्याएं, शिक्षा, रोजगार, पलायन जो चुनाव के मूल मुद्दों पर तो बयानबाजी अधिक हो रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो कुमाऊं के छह जिलों में 59,755 और प्रदेश में 1,30,030 पूर्व सैनिक है। 42,980 वीरांगनाएं भी वोटर हैं। अन्य सशस्त्र बलों के पूर्व जवानों की संख्या करीब 68 हजार है। इन्हीं आंकड़ों पर पाॢटयों की नजर हैं। उन्हें लगता है कि अगर इस वोट को अपने पक्ष में कर लिया तो सत्ता हासिल करना आसान होगा।

कुमांऊ में पूर्व सैनिक

अल्मोड़ा      9751

बागेश्वर      11500

चंपावत       3484

पिथौरागढ़   16821

नैनीताल      11137

ऊधमङ्क्षसह नगर 7082

कुमांऊ की वीरांगनाएं

अल्मोड़ा 4228

बागेश्वर 3496

चंपावत 1185

पिथौरागढ़ 7866

नैनीताल 2938

ऊधमङ्क्षसह नगर 2156

((नोट : प्रदेश के अन्य सात जिलों में 70255 पूर्व सैनिक और 21110 वीरांगनाएं हैं। स्रोत : सैनिक कल्याण बोर्ड))


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