हरदा आखिर क्यों अपने कार्यकाल को आपदा युग और वर्तमान सीएम को स्वर्णयुगी बता रहे
कद्दावर नेता हरीश रावत यानी हरदा इन दिनों सोशल मीडिया पर बहुत कुछ लिख रहे हैं। बेहद सधी संतुलित मगर तीखी बातों से वह अपने चाहने वालों और विरोधी दोनों को साध रहे हैं।
हल्द्वानी, गोविंद सनवाल : कद्दावर नेता हरीश रावत यानी हरदा इन दिनों सोशल मीडिया पर बहुत कुछ लिख रहे हैं। बेहद सधी, संतुलित मगर तीखी बातों से वह अपने चाहने वालों और विरोधी दोनों को साध रहे हैं। सोशल हो रही उनकी लेखनी से तमाम सवाल एवं शंकाएं भी पैदा हो रही हैं। ऐसा इसलिए कि वह एक तीर से दो नहीं बल्कि कई निशाने साधने के लिए जाने जाते हैं। तभी तो उनकी बातों ने विरोधी ही नहीं अपने दल को भी टेंशन दे रखा है। खुद के सत्ता में रहने के दौरान और विपक्ष के वर्तमान कार्यकाल की तुलना का उनका अंदाज भी सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहा है। अपने कार्यकाल को आपदा युग और वर्तमान सीएम को स्वर्णयुगी बताते हुए हरदा विकास रूपी तराजू जनता के हाथ में थमाए हुए हैं। लच्छेदार जुमलों को हरदा ने फेसबुक और वाट्सएप पर समीक्षा और चर्चा के लिए छोड़ दिया है। साथ ही वह वर्तमान डबल इंजन की तुलना अपनी सिंगल इंजन सरकार से करके भी खूब तंज कस रहे हैं।
चलो, थोड़ा इंतजार और सही
सत्ताधारी दल और विपक्ष में इस समय बड़े बदलाव हो रहे हैं। आगे और भी होने वाले हैं। फिलहाल यह बदलाव भाजपा व कांग्रेस के अपने संगठन के लिहाज से हैं। भाजपा ने वरिष्ठ नेता बंशीधर भगत के हाथ में मुखिया की कमान थमा दी है। जाहिर सी बात है कि अब भगत जी के भगत तो खुश होंगे ही। उनके खास व करीबियों की उम्मीदें भी हिलोरे मारने लगी हैं कि अब उन्हें भी कहीं न कहीं तरजीह मिलेगी। भगत जी अभी खुद ही जश्न के माहौल में डूबे हैं। ऐसे में थोड़ा इंतजार तो सभी को करना ही होगा। उधर, कांग्रेस में प्रीतम सिंह को हाईकमान ने संगठन विस्तार की सूची में फिर माथापच्ची करने को लगा दिया है। बमुश्किल एक जंबो टीम उन्होंने फाइनल की थी, लेकिन ऊपरवालों का आदेश है कि लिस्ट छोटी करो। प्रीतम जी की संभावित टीम भी अब इंतजार और सही की मुद्रा में है।
आखिर पार्टी की सेवा का सवाल है
कौन, कब और कहां बदल जाए राजनीति में मौसम का यह जुमला एकदम सटीक बैठता है। कुछ ऐसा ही पिछले दिनों कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ भी हो गया। सभी जानते हैं पूर्व सीएम हरदा को केंद्रीय संगठन में भी जगह मिली है, मगर उनका मन प्रदेश की राजनीति में ही ज्यादा रमता है। उनके काम भी चर्चा में रहते ही हैं। हाल में प्रदेश में शीर्ष स्तर के नेताओं के बीच गुटबाजी व बयानबाजी को लेकर ऊपर से फटकार पड़ी तो सभी के सुर व साज संधने लगे। हरदा भी कम कहां, सोशल मीडिया पर बयान जारी कर दिया कि भैया मैं व्यक्तिगत रूप से जो नीबू, आम, ककड़ी आदि जो भी पार्टियां करता हूं उसका सारा क्रेडिट जाता तो आखिर पार्टी के ही खाते में है न। इसीलिए स्थानीय मेले व त्योहारों के कार्यक्रमों में हरदा की ढपली भी बजती है और ठुमके भी लगना जारी हैं। आखिर सेवा तो पार्टी की ही कर रहे हैं...।
शहर की इमेज का ख्याल रखो भाई
नैनीताल में अब साल भर पर्यटन सीजन रहता है। इधर, दिसंबर से हो रही बर्फबारी ने नैनीताल एवं आसपास के पर्यटक स्थलों का क्रेज बढ़ा दिया है। बर्फबारी के दीदार के लिए आ रहे पर्यटकों ने गाइड, होटल संचालक, नाव चालक समेत दुकानदारों के चेहरे भी खिला रखे हैं। बर्फ गिरी नहीं कि नैनीताल का कारोबारी परिदृश्य भी एकदम से बदल जाता है। खासकर रेट के मामलों में। होटल के कमरों के दाम बढ़ जाते हैं तो टैक्सी वाले भी पर्यटकों का चेहरा-मोहरा देख मोल भाव करते हैं। पर्यटकों को होटल रूम मुहैया कराने वाले गाइड को भी पता नहीं रहता कि रूम का किराया अचानक दोगुना हो चुका है। ऐसे में होती है अनावश्यक बहस। कुल मिलाकर ऐसे में बाहर से आने वाले पर्यटक शहर की खराब छवि के साथ लौटते हैं। भाई सोचिए... शहर आपका है छवि जैसी आप बनाओगे वैसी ही सामने वाला देखेगा।
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