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मंदी की मार : एमओयू में लटके उद्यम, उद्यमी हो रहे निराश

औद्योगिक पैकेज खत्म होने के बाद से उत्तराखंड से उद्यमियों का मोह भंग होने के मद्देनजर योजना का खाका तो खींचा गया मगर धरातल पर नहीं उतारा जा रहा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 06:36 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 06:36 PM (IST)
मंदी की मार : एमओयू में लटके उद्यम, उद्यमी हो रहे निराश
मंदी की मार : एमओयू में लटके उद्यम, उद्यमी हो रहे निराश

राजेश शर्मा, काशीपुर (ऊधमसिंह नगर) : सरकार ने उत्तराखंड में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अन्य राज्यों के उद्यमियों को प्रोत्साहित कर यहां आमंत्रित तो किया है, लेकिन सरकार उद्यमियों से किए वायदों पर खरी उतरती नजर नहीं आ रही है। औद्योगिक पैकेज खत्म होने के बाद से उत्तराखंड से उद्यमियों का मोह भंग होने के मद्देनजर योजना का खाका तो खींचा गया, मगर धरातल पर नहीं उतारा जा रहा। ऐसे में सरकार की जुलाई 2015 में लागू की गई मेगा इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्टमेंट पॉलिसी के तहत राज्य के दर्जनों उद्यमियों ने एमओयू साइन किया था। पॉलिसी का लाभ उठाने के लिए उद्यमियों के पास महज छह माह का समय बचा है। लेकिन आज तक उद्योग लगाने के लिए भूमि खरीद संबंधी नोटिफिकेशन न होने से उद्यमी इसके लाभ से वंचित रह जाएंगे। उद्यमियों ने सरकार से शीघ्र नोटिफिकेशन लाने और मेगा पॉलिसी की समय सीमा मार्च 2021 तक करने की मांग की है।

इस योजना के तहत सरकार ने राज्य में उद्योग लगाने के इच्छुक उद्यमियों को काफी राहत दी। इसमें भूमि क्रय में स्टांप डयूटी से छूट आदि भी दी गई। लेकिन इसमें सबसे बडा पेंच यह फंसा की मेगा पॉलिसी में उद्योग लगानेवाला उद्यमी भी उद्योग लगाने के लिए साढ़े बारह एकड़ से अधिक भूमि नहीं खरीद सकता। ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत वाले उद्योगों के सामने जमीन की समस्या आ गई । इतनी कम भूमि में बड़े उद्योग कैसे लगाए जाएं? चेम्बर आफ कामर्स के माध्यम से तमाम उद्यमियों ने जमीन के क्रय संबंधी नोटिफिकेशन को लेकर सरकार से चर्चा की। जिसके चलते 5 जुलाई 2019 को राज्यपाल के समक्ष उद्योगों के लिए साढ़े बारह एकड़ से अधिक भूमि क्रय संबंधी अध्यादेश संबंधी कागजात भेजे गए। परंतु, विडंबना यह है कि आज तक अध्यादेश पारित नहीं हुआ। उद्यमियों का कहना है जब तक अध्यादेश पारित कर इस संबंध में कानून नहीं बनेगा तब तक हम लोग उद्योग नहीं लगा सकेंगे। समय पर नोटिफिकेशन न होने से उद्यमी मेगा पॉलिसी के लाभ नहीं ले पाएंगे। प्रदेश में ऐसे दो दर्जन से अधिक उद्यमी हैं, जो इस समस्या से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने सरकार के कहने पर एमएयू साइन कर दिया। पॉलिसी का लाभ लेने के लिए मार्च 2020 तक का समय बचा है। इतने कम समय में भूमि क्रय करनी है, कृषक भूमि का 143 कराना है, बैंक से ऋण लेना है, बिजली कनेक्शन व भूमि पर मशीनें लगाकर फैक्ट्री का निर्माण भी कराना है। इतना ही नहीं रोजगार भी देना है। इतने कम समय में यह सब काम करना नामुमकिन हैं। उद्यमियों ने सरकार से पॉलिसी के तहत भूमि क्रय संबंधी नोटिफिकेशन पारित कर कानून बनाने और मेगा पॉलिसी की समय सीमा 31 मार्च 2021 तक करने की मांग की है।

उद्योगों को यह मिलेंगे फायदे
- राज्य सरकार की ओर से उद्यमियों को सात प्रतिशत तक की ब्याज सब्सिडी दी जाएगी।
- लार्ज प्रोजेक्ट को पांच साल तक वैट में 30 प्रतिशत और मेगा व अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट को 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
- पांच वर्ष तक बिजली में एक रुपया प्रति यूनिट की छूट के अलावा इलेक्ट्रिकल ड्यूटी में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
- भूमि खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में भी 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
- भूमि के पंजीकरण में केवल एक रुपया प्रति एक हजार पर शुल्क लिया जाएगा।
- ईटीपी(इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) के लिए 30 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी, जो कि अधिकतम 30 लाख रुपये तक होगी।
- टैक्सटाइल उद्यम में मंडी टैक्स पर 75 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
- पालिसी में सेंट्रल सेल्स टैक्स एक प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया गया है।
- जीएसटी को आर्थिक लाभ को बनाए रखने के क्रम में समायोजित किया जाएगा। अशोक बंसल,अध्यक्ष, केजीसीसीआइ का कहना है कि मंदी का दौर चल रहा है। मेगा पालिसी के तहत राज्य व बाहर के उद्यमी निवेश को इच्छुक हैं। कई उद्यमी एमओयू साइन कर चुके हैं। उद्यमियों द्वारा खरीदी जाने वाली जमीन के अग्रिम धनराशि दी जा चुकी है। लेकिन अभी तक भूमि क्रय संबंधी अध्यादेश पारित न होने से उद्योगों पर ग्रहण लग गया है। सरकार भूमि क्रय संबंधी अध्यादेश को शीघ्र पारित कर मेगा पॉलिसी की समय सीमा एक वर्ष और बढ़ाए।

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