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एडवेंचर टूरिज्म के लिए लाखों खर्च कर बनाया गया केन्द्र कर्मचारियों के अभाव में बेकार पड़ा

साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चंपावत जिले के टनकपुर में बना साहसिक पर्यटन केंद्र कर्मचारियों के अभाव में ठप पड़ा हुआ है। भवन को हैंड ओवर हुए दो साल का समय व्यतीत हो गया है लेकिन केंद्र से किसी प्रकार की गतिविधियां संचालित नहीं हो रही हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 01:15 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 01:15 PM (IST)
एडवेंचर टूरिज्म के लिए लाखों खर्च कर बनाया गया केन्द्र कर्मचारियों के अभाव में बेकार पड़ा
एडवेंचर टूरिज्म के लिए लाखों खर्च कर बनाया गया केन्द्र कर्मचारियों के अभाव में बेकार पड़ा

चम्पावत, जेएनएन : पर्यटन उत्तराखंड का आर्थिक आधार है। जरूरत है ध्यान देने की। साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चंपावत जिले के टनकपुर में बना साहसिक पर्यटन केंद्र कर्मचारियों के अभाव में ठप पड़ा हुआ है। भवन को हैंड ओवर हुए दो साल का समय व्यतीत हो गया है लेकिन केंद्र से किसी प्रकार की गतिविधियां संचालित नहीं हो रही हैं। आलम यह है कि केंद्र में रखा लाखों रुपए का सामान भी जंक खा रहा है।

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जून 2015 में नायकगोठ के समीप साहसिक पर्यटन केंद्र का निर्माण कार्य शुरू हुआ। शुरूआती चरण में शासन ने भवन निर्माण के लिए 55 लाख की धनराशि स्वीकृत की थी। बनते-बनते इसकी लागत 88.94 लाख तक पहुंच गई। मार्च 2017 में भवन बनने के बाद उसे पर्यटन विभाग ने अपने अधीन ले लिया। केंद्र बनने के बाद यहां साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जरूरी सामग्री भी पहुंच गई, लेकिन कर्मचारियों की तैनाती नहीं हो पाई। जिला पर्यटन अधिकारी लता बिष्ट ने बताया कि केंद्र में कर्मचारियों की तैनाती के लिए कई बार प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक शासन से कोई जवाब नहीं मिला है। जिस कारण साहसिक गतिविधियों के संचालन में दिक्कत हो रही है।

उन्होंने बताया कि भवन में स्टोर कक्ष, उपकरणों के लिए अतिरिक्त कक्ष, प्रबंधक कक्ष, एक हॉल, प्रशिक्षण हॉल आदि बनाया गया है। 10 लाख रुपये की लागत का खेल सामान भी केंद्र में पड़ा हुआ है। फिलहाल साहसिक खेल संस्थाओं के माध्यम से रिवर राफ्टिंग व रॉक क्लाइबिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कर्मचारियों और ट्रेनरों की नियुक्ति होने के बाद यहां से पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, स्नोस्कीइंग, कैंपिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेन बाइकिंग, पैरासिलिंग आदि खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों को भी इन खेलों से जोड़ा जाएगा।

चम्पावत की जिला पर्यटन अधिकारी लता बिष्ट ने बताया कि टनकपुर में बने साहसिक पर्यटन केंद्र में ट्रेनरों की नियुक्ति न होने से उसका संचालन नहीं किया जा सका है। शासन से कर्मचारियों की नियुक्ति करने की मांग की गई है। उम्मीद है कि अगले वर्ष जनवरी तक केंद्र का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।

केंद्र का संचालन न होने से युवाओं में आक्रोश

साहसिक पर्यटन केंद्र का संचालन न होने से साहसिक खेलों में रूचि रखने वाले युवाओं में आक्रोश पैदा हो गया है। रवि धामी, सुरेश सिंह, मोहन चंद्र, विकास धामी आदि ने बताया कि केंद्र बनने के बाद जिले में साहसिक खेलों को बढ़ावा मिलने के सपने देखे जा रहे थे जो अब धूल धूसरित होते जा रहे हैं।

टनकपुर और पंचेश्चर में संचालित हो रहे साहसिक

जिले में साहसिक खेलों के नाम पर रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइबिंग एवं एडवेंचर का ही आयोजन होता है। टनकपुर की शारदा नदी और पंचेश्वर की महाकाली नदी में राफ्टिंग के साथ चम्पावत, किमतोली व पंचेश्वर में रॉक क्लाइबिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। रियल एडवेंचर लोहाघाट, लाइफ इज एडवेंचर टनकपुर, स्नोलाइम ट्रेवल वेंचर पंचेश्वर संस्थाएं साहसिक पर्यटन गतिविधियों से जुड़ी हैं। इन गतिविधियों में 20 युवाओं को प्रत्यक्ष और 60 युवाओं को अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिला है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के चलते खेल गतिविधियों का संचालन बंद है।


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