पिरूल से बिजली बनाकर आत्मनिर्भर बनेंगे बागेश्वर जिले के लोग
सरकार की पिरूल नीति को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू हो गई है।
बागेश्वर, जेएनएन : सरकार की पिरूल नीति को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू हो गई है। पिरुल से अब विद्युत उत्पादन होगा। उरेडा और वन विभाग को इसके लिए नोडल विभाग बनाया गया है। एक से लेकर दस किलोवाट तक का सिस्टम भी लग सकेगा। इसके अलावा उच्च क्षमता के सिस्टम से भी आम आदमी बिजली उत्पादित कर सकेंगे। यह बिजली उत्तराखंड पावर कारपोर्रेशन खरीदेगा।
कोरोना काल में सरकार प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार से जोड़ने के लिए तमाम योजनाएं बना रही है। पिरूल से अब बिजली का उत्पादन होने जा रहा है। जिसके लिए उरेडा और वन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। उरेडा ने पिरूल से विद्युत उत्पादन के लिए कमर कस ली है। एक, 10, 25 किलोवाट और उच्च क्षमता का सिस्टम लगाया जा सकता है। उरेडा ने पिरूल नीति के तहत पिरुल उद्योग लगाने वालों के लिए 31 जुलाई तक आवेदन मांगें हैं। जिसके तहत उत्पादित बिजली को यूपीसीएल खरीदेगा। एक यूनिट का पैसा लेवलाइज टैरिफ के हिसाब से 7.54 रुपये तक संबंधित सिस्टम लगाने वाले को मिल सकेगा। सिस्टम लगाने के इच्छुक लोगों को 10.50 लाख रुपये की धनराशि उपक्रम लगाने को व्यय करनी होगी। 25 किलोवाट तक के सिस्टम लगाने पर 4.50 लाख रुपये भारत सरकार और 10 लाख रुपये केंद्र सरकार से अनुदान भी मिलेगा।
कौन क्या करेगा
पिरूल नीति को धरातल पर उतारने के लिए उरेडा प्रोजेक्ट बनाने और उद्योग लगाने में लाभाथियों को मदद करेगा। तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। वन विभाग पिरूल की उपलब्धता की जानकारी देगा। उरेडा प्रोजेक्ट लगाने वालों को उपलब्धता के अनुसार अनुमानित बिजली उत्पादन का लक्ष्य देगा।
पिरूल आधारित इकाई स्थापित करने के लिए 31 जुलाई तक उरेडा में आवेदन कर सकते हैं। पिरूल से बिजली बनाकर उत्तराखंड को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का यह लक्ष्य है। प्रवासियों के लिए भी यह बेहतर उद्योग हो सकता है। केंद्र और राज्य सरकार का यह प्रोजेक्ट है। -रॉकी कुमार, परियोजना अधिकारी, उरेडा, बागेश्वर
यह भी पढ़ें
जम्मू कश्मीर निवासी एसएसबी जवान अल्मोड़ा से लापता, कैंप में किया रात्रि विश्राम, सुबह था गायब