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पिथौरागढ़ में पीरूल के पहले प्लांट से बिजली उतपादन शुरू, यूपीसीएल को बेची गई बिजली

पिथौरागढ़ के डीडीहाट में चीड़ के पीरू ल से बिजली का उत्पादन शुरू हो चुका है।

By Edited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 05:28 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 09:01 AM (IST)
पिथौरागढ़ में पीरूल के पहले प्लांट से बिजली उतपादन शुरू, यूपीसीएल को बेची गई बिजली
पिथौरागढ़ में पीरूल के पहले प्लांट से बिजली उतपादन शुरू, यूपीसीएल को बेची गई बिजली

बिजेंद्र मेहता, डीडीहाट : पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट के चौबाटी में चीड़ के पीरूल से बिजली का उत्पादन प्रारंभ हो चुका है। उत्पादन शुरू हुए पांच दिन हुए हैं, प्लांट में 551 यूनिट बिजली बनकर तैयार हुई है। जिसे उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन लि. (यूपीसीएल) को बेची गई है। चौबाटी में पीरूल से बिजली उत्पादन की कुमाऊं में तीसरी और उत्त्तराखंड में चौथी यूनिट है। चीड़ के पीरूल से बिजली उत्पादन की पहल के तहत जिले में चार यूनिट स्वीकृत हैं।

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पहली यूनिट चौबाटी में स्थापित होकर उत्पादन करने लगी है। उद्यमी दीवान सिंह देऊपा द्वारा स्थापित इस प्लांट में प्रत्यक्ष 14 युवाओं को रोजगार मिला है तो सैकड़ों ग्रामीण लाभान्वित हो रहे हैं। इस यूनिट का 25 जुलाई को विधायक विशन सिंह चुफाल ने उद्घाटन किया था। उद्घाटन के साथ ही प्लांट में उत्पादन प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

यूपीसीएल को 7.54 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेची

बिजली प्लांट संचालक दीवान सिंह देऊपा ने बताया कि पांच दिनों के भीतर 551 किलोवॉट बिजली का उत्पादन हो चुका है। सारी उत्पादित बिजली यूपीसीएल को 7.54 प्रति यूनिट के हिसाब से बेच दी गई है। सात दिन में दो दिन भारी बारिश के कारण बिजली का उत्पादन नहीं हो सका।

एक किलो पीरूल से एक यूनिट बिजली का उत्पादन

प्लांट संचालक दीवान सिंह देऊपा ने बताया कि डेढ़ किलो पीरूल से एक यूनिट बिजली पैदा हो जाती है। चीड़ का पीरूल यहां काफी मात्रा में है। इससे अच्छा उत्पादन की उम्मीद है। इस समय पीरू ल गीला होने से उत्पादन को गति नहीं मिल पा रही है।

इस तरह पैदा होती है बिजली

प्लांट में सर्वप्रथम पीरू ल को कटर से काट कर छोटे-छोटे बोरों में डाला जाता है। इन बोरों को हूपर में बने एक छोटे से बॉक्स में डाला जाता है। जहां पर स्पार्किंग होती है स्पार्क होने से पीरूल आग पकड़ लेती है। जिससे गैस निकलती है जो साइक्लोन में जाती है जहां कण जमा हो जाते हैं और राख नीचे एकत्रित हो जाती है। इस प्रक्रिया के तहत बिजली बनती है। प्लांट में लगा जनरेटर पीरू ल से उत्पादित बिजली से ही चल रहा है।

एक प्लांट की लागत 25 लाख

संचालक दीवान सिंह देऊपा बताते हैं कि प्लांट की लागत 25 लाख रुपये है। आने वाले समय में पीरू ल से जहां बिजली का उत्पादन स्थानीय स्तर पर आपूर्ति करेगा वहीं इससे सैकड़ों की आजीविका में सुधार होगा।


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