भारत में नहीं रहेगा वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण का प्रभाव, जानें क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य
Solar Eclipse 2021वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण चार दिसंबर को पड़ेगा। दिखाई नहीं देने की वजह से उत्तराखंड समेत समूचे भारत पर ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। ग्रहण का धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा। सूर्य ग्रहण को अंटार्कटिका व दक्षिण महासागर से दिखा जा सकेगा।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Solar Eclipse 2021वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण चार दिसंबर को पड़ेगा। दिखाई नहीं देने की वजह से उत्तराखंड समेत समूचे भारत पर ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। ग्रहण का धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा। सूर्य ग्रहण को अंटार्कटिका व दक्षिण महासागर से दिखा जा सकेगा। अफ्रीकी महाद्वीप की कुछ जगहों से आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन व जार्ज, नामिबिया के स्वाकोपमुण्ड व आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न और होबार्ट से आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। (last Solar Eclipse of 2021)
श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय हल्द्वानी के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि सूर्य ग्रहण भारतीय समय के मुताबिक सुबह 11 बजे शुरू होगा। ग्रहण का मध्य दोपहर 1.04 बजे रहेगा और इसकी पूर्णता की अवधि अपराहन 3.07 बजे तक रहेगी। ग्रहण की पूर्णता की एक मिनट 57 सेकंड की अवधि के दौरान सूर्य पूरी तरह चंद्रमा की छाया में छिप जाएगा।
जानें आखिर किसे कहते हैं सूर्य ग्रहण
सौर मंडल का ग्रह पृथ्वी सूरज और चांद पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। इस प्रक्रिया में कभी-कभी सूरज व धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है। इससे सूरज की कुछ या फिर सारी रोशनी धरती पर आने से रुक जाती है। इस अवधि में धरती पर अंधेरा फैल जाता है। इस घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है। यह घटना अमावस्या के दिन होती है। चांद जब सूरज के कुछ भाग को ढंकता है उसे खंड ग्रहण कहा जाता है और सूरज को पूरी तरह ढंक लेने की प्रक्रिया को पूर्ण ग्रहण कहते हैं।
दान-पुण्य का विशेष महत्व
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि हर महीने आने वाली अमावस्या तिथि काफी अहम होती है। गरुड़ व ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध किया जाना चाहिए। पितृदोष से मुक्ति के लिए पितृ तर्पण, स्नान-दान इत्यादि करना बेहद जरूरी होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पुण्य फल मिलता है।