Uttarakhand Lockdown Day 9 : लॉकडाउन से कर्मकांडी पंडितों के सामने रोजी रोटी का संकट
नवरात्र में देवी मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान नहीं हुए। ऊधमसिंहनगर जिले के मां अटरिया मंदिर व काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी मंदिर परिसर में मेले भी नहीं लगे।
रुद्रपुर, जेएनएन : लाॅकडाउन से मंदिरों में ताले लग गए हैं। नवरात्र में देवी मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान नहीं हुए। ऊधमसिंहनगर जिले के मां अटरिया मंदिर व काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी मंदिर परिसर में मेले भी नहीं लगे। शादियां भी कैंसिल हो गईं। इससे मंदिर के पुजारी व कर्मकांडी पंडितों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है। पुजारी व कर्मकांडी पंडित यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर साल भर परिवार का खर्च कैसे चलेगा। इसे लेकर कर्मकांडी पंडित चिंतित हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण से देश को लॉकडाउन कर दिया गया है। इससे मंदिरों में ताले लग गए हैं। नवरात्र में लोग व्रत रहते हैं। मंदिरों व घरों में धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। कर्मकांडी पंडितों को इससे काफी कमाई होती है। चैत्र नवरात्र में रुद्रपुर स्थित मां अटरिया देवी मंदिर व काशीपुर स्थित मां बाल सुंदरी देवी मंदिर के पास चैती मेला लगता था। हालांकि दो साल से चैती मेला अब प्रशासन के हाथ में आ गया है। इन मेले में श्रद्धालु दूर दराज से आते थे तो मंदिर में चढ़ावा चढ़ाते थे। इससे लाखों रुपये एकत्र होते थे। काफी लोग मेले में स्टॉल लगाकर साल भर का परिवार का खर्च चलाते थे। इस बार नवरात्र में दोनों मेले नहीं लगे। मंदिरों में चढ़ावा से पुजारी के परिवार का सालभर का खर्च चलता है। कर्मकांडी पंडित मंदिरों व घरों में नवरात्र में धार्मिक अनुष्ठान व पाठ कर लाखों रुपये कमा लेते थे और इसी के पैसे से परिवार का साल भर खर्च चलाते थे। इस बार नवरात्र में मंदिरों में ताले लगने व धार्मिक अनुष्ठान न होने से पुजारी कर्मकांडी पंडितों की आर्थिक हालत खराब होने वाली है।
क्या बोले : पुजारी व कर्मकांडी पंडित
नवरात्र में मां अटरिया मेला लगता था तो दूर दराज के काफी संख्या में श्रद्धालु आते थे और लोग स्टाॅल लगाते थे।इससे मंदिर में चढ़ावे में तीन-चार लाख रुपये व स्टॉल से तहबाजारी के रुप में पांच छह लाख रुपये मिले जाते थे। मंदिर में मां अटरिया देवी, मां काली देवी व भैरव बाबा के दरबार में अखंड ज्योति जलती है। नवरात्र में जो कमाई होती थी, उसी से कई परिवार का साल भर खर्च चलता था और गाेशाला में खर्च होता था। इस बार लॉकडाउन से मेला नहीं लगा। परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो जाएगा।
- पंकज गौड़, पुजारी, मां अटरिया देवी मंदिर रुद्रपुर
नवरात्र में मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में कई राज्यों के श्रद्धालु दर्शन करते आते थे। मंदिर के पास मेला भी लगता था। हालांकि अब मेला दो साल से प्रशासन के हाथ में आ गया है। मंदिर में दान में चढ़ाया जाता था, उसी से परिवार का खर्च चलता था। कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है।मंदिर भी बंद है। कोरोना से बचना भी जरुरी है। अब परिवार के सामने थोड़ी आर्थिक दिक्कत आएगी।
- विकास अग्निहोत्री, मुख्य पुजारी, मां बाल सुंदरी देवी मंदिर काशीपुर
लॉकडाउन से मार्च व अप्रैल की शादियां कैंसिल कर दी गई। आठ अप्रैल हो भगवान हनुमान जयंती और 24 अप्रैल को अक्षय तृतिया है। लॉकडाउन से कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं। मंदिरों व घरों में लोग नवरात्र में धार्मिक अनुष्ठान कराते थे तो 11 हजार और मां दुर्गा सप्तसती का पाठ कराते थे तो 21 हजार की कमाई हो जाती थी। शादियां कैंसिल होने से कमाई नहीं हुई। अब तो परिवार का खर्च चलाना काफी मुश्किल है। परिवार के खर्च में कटौती भी कर दी गई है।
- संतोष मिश्रा, कर्मकांडी पंडित, रुद्रपुर
प्रशासन को ध्यान देना होगा
नवरात्र में अनुष्ठान न होने से उनके सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया है। राशन कार्ड भी नहीं है कि सस्ता राशन मिल सके। नवरात्र में एक दिन में सात से आठ हजार व एक शादी में कम से कम 2100 रुपये कमा लेते थे। अब तो आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और भूखे रहने की नौबत आ सकती है। कर्मकांडी पंडितों की आय का कोई जरिया नहीं है। इसलिए शासन प्रशासन को इनके हित के बारे में सोचना चाहिए।
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