दो किमी से कम होगा ईको सेंसिटिव जोन का दायरा, पर्यावरण मंत्रालय ने मांगा प्रस्ताव
गांव की सबसे बड़ी समस्या बन रही ईको सेंसेटिव जोन को कम करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। रामनगर के पांच गांवों में ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया है।
रामनगर, जेएनएन : गांव की सबसे बड़ी समस्या बन रही ईको सेंसेटिव जोन को कम करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। रामनगर के पांच गांवों में ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। इसका दायरा पूर्व में दो किलोमीटर प्रस्तावित किया गया था, जिसे लेकर ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन किए। ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को सेंसेटिव जोन का दायरा दो किलोमीटर से एक किलोमीटर करने के लिए जनसुनवाई कर प्रारूप प्रस्ताव तैयार करने के लिए पत्र भेजा है। पत्र के अनुपालन में कॉर्बेट प्रशासन ने 20 जून को नगर पालिका के ऑडिटोरियम हॉल में प्रारूप तैयार करने के लिए जनसुनवाई आयोजित की है, जिसमें जोन के दायरे में आ रहे ढेला, ढेला बंदोबस्ती, सांवल्दे पूर्वी, सांवल्दे पश्चिमी व ढिकुली गांव के ग्रामीण अपने सुझाव व आपत्ति देंगे।
ईको सेंसिटिव जोन से होगा नुकसान
ग्रामीणों की तरफ से गठित ईको सेंसिटिव जोन संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि ईको सेंसेटिव जोन घोषित होने से गांव में भू उपयोग नहीं हो पाएगा, जिससे उन्हें कोई भी रोजगार करने के लिए बैंक से ऋण नहीं मिलेगा, जो उद्योग लगेंगे व खेती होगी, वह पर्यावरण के अनुकूल होने चाहिए। ईको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं होना चाहिए।
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