इनसे सीखें कारोबार, लगाएं ईको बैग का प्लांट और दूसरों को भी दें रोजगार
ईको बैग का प्लांट लगाना इस समय आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यह कारोबार करने वाले उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के 33 वर्षीय हिमांशु पंत आपके लिए नजीर हैं।
हल्द्वानी, [जेएनएन] : बेरोजगार हैं और कुछ करने की चाहत रखते हैं तो यह खबर आपके काम आ सकती है। जैसा कि आप जानते हैं कि अब पॉलीथिन के बैग बंद हो रहे हैं। इसके नुकसान और बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सभी राज्य इस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। ऐसे में इको बैग की डिमांड बढ़ी है। ईको बैग का प्लांट लगाना इस समय आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यह कारोबार करने वाले उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के 33 वर्षीय हिमांशु पंत आपके लिए नजीर हैं।
बेरीनाग तहसील के बजेत (कालाशिला) निवासी हिमांशु ने रोजगार की तलाश में शहरों की खाक छानने के बजाय अपने गांव में ईको फ्रेंडली बैग तैयार करने का प्लांट लगाया है। ऐसा कर न सिर्फ उन्होंने खुद को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि औरों को भी हजारों का रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।
हिमांशू ने स्थापना के पांच माह के अंदर ही प्लांट के कारोबार में आसपास के गांवों के आठ युवाओं को जोड़कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया है । जिससे रोजगार के लिए बाहर का रुख करन वाले युवाओं को जहां अपने घर में काम मिला वहीं यह प्लांट पलायन रोकने का जरिया भी बना। हिमांशु को उम्मीद है अगले छह माह में वह 25 से 30 युवाओं को अपने प्लांट से जोड़ देंगे।
ऐसे आया ईको बैग का प्लांट लगाने का आइडिया
बीएड और अकाउंट की पढ़ाई करने वाले हिमांशु दस साल तक एक शहर से दूसरे शहर भटकते रहे। कभी टीचिंग की तो कभी सीए के साथ काम किया। फैक्ट्री में भी हाथ आजमाया। हिमांशु बताते हैं कि पांच साल पहले से हल्द्वानी में एलआइसी के मार्केटिंग विभाग में काम करता था। विचार आया कि दूसरे की योजनाओं का प्रचार करने के बजाय अपना काम किया जाए। एक दोस्त ने ईको फ्रेंडली बैग तैयार करने के प्लांट का प्रोजेक्ट दिखाया तो इस पर काम करने का मन बना लिया।
प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना से मिला 25 लाख का लोन
हिमांशु बताते हैं प्लांट लगाने से पहले मन में सवाल था कि काम चलेगा कि नहीं। पिता और छोटे भाइयों ने प्रोत्साहित किया।खादी ग्रामोद्योग बोर्ड से प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत आवेदन करने पर 25 लाख का लोन स्वीकृत हो गया। करीब इतनी ही राशि पिता नारायण पंत के (अस्पताल से सुपरवाइजर पद से) रिटायर्ड होने पर मिली रकम से मिलाकर जनवरी में प्लांट व प्रिंटिंग मशीन लगा लिया। हिमांशु का एक भाई सीए के साथ काम करता है, दूसरा एयरफोर्स में कार्यरत है।
15 हजार तक दे रहे हैं वेतन
डिमांड पांच माह पहले महज दस दुकानों से शुरू हुआ काम आज शहरों तक पहुंच गया है। हिमांशु बताते है पहले बेरीनाग बाजार से ही डिमांड आती थी। अब पिथौरागढ़, बागेश्वर, गरुड़, अल्मोड़ा, चंपावत के साथ हल्द्वानी से भी बैग की डिमांड आ रही है। प्लांट में डी-कट, यू-कट बैग के साथ शॉपिंग में प्रयोग होने वाले लूप (फीते) वाले बैग भी तैयार होते हैं। छह से 15 हजार देते हैं वेतन प्लांट में काम करने वाले युवाओं को छह हजार से 16 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाता है। ऑपरेटर को छोड़ शेष आठ युवक स्थानीय हैं। कम वेतन वाले युवाओं से पार्ट टाइम काम किया जाता है।
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