Move to Jagran APP

खतरनाक पहाड़ी और बर्फबारी से प्रभावित हो रहे ऑलवेदर रोड निर्माण में अब डीआरडीओ की तकनीक से होगा काम

प्रदेश में बन रही करीब 900 किलोमीटर की आलवेदर रोड परियोजना को लेकर अब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भी मदद करेगा। इससे कुमाऊं एवं गढ़वाल दोनों मंडलों में इस काम को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 08:07 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 01:29 PM (IST)
खतरनाक पहाड़ी और बर्फबारी से प्रभावित हो रहे ऑलवेदर रोड निर्माण में अब डीआरडीओ की तकनीक से होगा काम
खतरनाक पहाड़ी और बर्फबारी से प्रभावित हो रहे ऑलवेदर रोड निर्माण में अब डीआरडीओ की तकनीक से होगा काम

गणेश जोशी, हल्द्वानी : प्रदेश में बन रही करीब 900 किलोमीटर की आलवेदर रोड परियोजना को लेकर अब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भी मदद करेगा। इससे कुमाऊं एवं गढ़वाल दोनों मंडलों में इस काम को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। गढ़वाल में चारधाम मार्ग के अलावा कुमाऊं में टनकपुर से चम्पावत के बीच 150 किलोमीटर निर्माणाधीन रोड में कई पर्वतीय हिस्से बेहद खतरनाक हैं। इसके चलते निर्माण फाइनल करने की तिथि भी आगे खिसक रही है। ऐसे में भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में डीआरडीओ भूस्खलन, बर्फ के बीच निर्माण एवं बारिश से सड़क को नुकसान को कम करने में तकनीकी मदद करेगा।

loksabha election banner

राज्य में आलवेदर रोड पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है। इस परियोजना को तकनीकी रूप से और सशक्त बनाने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का डीआरडीओ से करार होना राज्य की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। डीआरडीओ सचिव डा. सतीश रेड्डी के तकनीकी सलाहकार व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. संजीव कुमार जोशी बताते हैं, इस करार का लाभ उत्तराखंड को मिलेगा। इस समय उत्तराखंड में विषम भौगोलिक परिस्थति वाले दुर्गम क्षेत्रों से आलवेदर रोड का निर्माण भी हो रहा है। जहां भूस्खलन से लेकर बर्फ वाले कठिनतम क्षेत्र हैं। इन जगहों पर डीआरडीओ की लैब अत्याधुनिक तकनीक की मदद से सड़क मार्ग के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाएगी और मजबूती भी प्रदान करने का काम करेगी।

डीजीआरई की हाइटेक तकनीक ऐसे करेगी काम

डीआरडीओ की डिफेंस जीओ इंफारमेटिक्स रिसर्च इस्टेब्लिशमेंट (डीजीआरई) की हाइटेक लैब हैं। जहां तमाम तरह के स्ट्रक्चर तैयार करने के लिए अनुसंधान होते रहते हैं। डा. जोशी बताते हैं, जहां भूस्खलन आम समस्या है, उन जगहों पर तमाम तरह के पौधे उगाए जा सकते हैं। ऐसे एक हजार तरीके के पौधे हैं जो मिट्टी को बांधे रखने के साथ तमाम खूबियों वाले हैं। इसके अलावा उन जगहों पर मजबूत स्ट्रक्चर बनाए जाते हैं, जिसे गैलरी कहते हैं। ऐसे ही एवलांच (हिमस्लखन) वाले जगहों पर भी स्नो गैलरीज बनाई जाती हैं। असल में हिमालयी पहाड़ कमजोर हैं, इसलिए उन जगहों पर मिट्टी का सर्वे कर सड़क निर्माण करने की तकनीक इस्तेमाल की जा सकती है।

कई सुरंगें भी बनेंगी

उत्तराखंड राज्य में 10 मीटर की न्यूनतम चौड़ाई के साथ प्रस्तावित दो-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग है। परियोजना में लगभग 900 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं, जो पूरे उत्तराखंड राज्य को जोड़ेगा। इस परियोजना में कई सुरंगें और बर्फ की गैलरी बनाई जानी हैं।

उत्तराखंड में चारधाम परियोजना अच्छी पहल है। इसमें डीआरडीओ तकनीकी सलाह देगा। राज्य में आने वाले वर्षों में सड़क परिवहन का बेहतर लाभ लिया जा सकेगा। इस परियोजना के पूरा होने से पहले ही राज्य को पर्यावरण के अनुकूल औद्योगिक विकास की पहल करनी चाहिए।  ऐसे में साफ्टवेयर उद्योग या इलेक्ट्रानिक्स उद्योग जैसे प्रमुख उद्योगों को आगे बढ़ाने का सही समय है।

संजीव कुमार जोशी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डीआरडीओ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.