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उत्तराखंड चुनाव 2022 : रानीखेत सीट पर भाजपा ने चला परंपरागत दांव, जानिए क्यों मिला डा. प्रमोद नैनवाल को टिकट

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 चुनाव में इस सीट पर टिकट का बंटवारा संगठन व केंद्रीय स्तर के मंत्रियों की सिफारिश पर नहीं बल्कि आरएसएस के रणनीतिकारों की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तय किया गया। रानीखेत सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार डा.प्रमोद नैनवाल को उतार परंपरागत दांव चला है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 10:44 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:44 PM (IST)
उत्तराखंड चुनाव 2022 : रानीखेत सीट पर भाजपा ने चला परंपरागत दांव, जानिए क्यों मिला डा. प्रमोद नैनवाल को टिकट
80 के दशक से आरएसएस से जुडे सक्रिय कार्यकर्ता। भाजयुमो के जिला व प्रदेश उपाध्यक्ष रहे।

जागरण संवाददाता, रानीखेत : उत्तराखंड चुनाव में भाजपा की दूसरी लिस्ट पर राजनैतिक पार्टियों सहित लोगों की निगाहें टिकीं थीं। अल्मोड़ा जिले की सबसे हॉट सीट पर आखिरकार भाजपा ने नए प्रयोग से परहेज कर एक बार फिर ठाकुर बहुल रानीखेत सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार डा.प्रमोद नैनवाल को उतार परंपरागत दांव चला है।

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चौंकाने वाला पहलू यह कि अबकी विधानसभा चुनाव में इस सीट पर टिकट का बंटवारा संगठन व केंद्रीय स्तर के मंत्रियों की सिफारिश पर नहीं बल्कि आरएसएस के रणनीतिकारों की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तय किया गया।

सर्वे रिपोर्ट में ठाकुर उम्मीदवार के तौर पर पूर्व ब्लाक प्रमुख धन सिंह रावत जबकि ब्राह्मण प्रत्याशी के लिए डा. प्रमोद नैनवाल को सर्वाधिक पसंद किया गया था। हालांकि चर्चा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी संघ के कैलाश पंत की पैरवी में जुटे थे तो केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने हल्द्वानी के भाजपा नेता महेंद्र अधिकारी व उनकी पूर्व मेयर पत्नी रेनू अधिकारी को टिकट दिलाने के  लिए जोर लगाया था। अब फाइनली सर्वे व सिफारिश के द्वंद्व में बाजी डा. प्रमोद नैनवाल के हाथ लगी और भाजपा हाइकमान ने उन्हें ही टिकट देकर मैदान में उतारा। 

नैनवाल ने ऐसे मारी बाजी 

80 के दशक से आरएसएस से जुडे सक्रिय कार्यकर्ता। भाजयुमो के जिला व प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। भाजपा संगठ में कई पदों पर लह चुके हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की दावेदारी के बावजूद खुद भी टिकट की दौड में शामिल हुए। टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और ठीकठाक वोट लेकर भाजपा उम्मीदवार अजय भट्ट की हार का कारण बने। हालांकि डा.प्रमोद नैनवाल खुद को कट्टर भाजपाई मानते रहे पार्टी के बडे धडे के विरोध के बावजूद भाजपा से नाता नहीं तोडा। संघ निष्ठा के  लिए पार्टी हाइकमान ने संघ की सर्वे रिपोर्ट पर टिकट थमा चुनाव मैदान में उतारा।


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