90 संक्रमित प्रसूताओं की डॉ गीता जैन ने कराई डिलिवरी, बिना डरे और थके मानव सेवा में जुटीं
डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल का स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग डा. गीता जैन के नेतृत्व में मानवता की सेवा के लिए उदाहरण पेश कर रहा है। कोरोना संक्रमित प्रसूताओं को बेहतर इलाज की हर संभव कोशिश की जा रही है।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : कोरोना का खौफ चरम पर होने के बावजूद कुछ लोग मानवता की सेवा में जुटे रहे। ऐसे लोग कोरोना योद्धा के तौर पर समाज में प्रेरणास्रोत बने हैं। इस समय फिर पहले से अधिक खतरनाक हालात पैदा हो गए हैं। ऐसे में भी डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल का स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग डा. गीता जैन के नेतृत्व में मानवता की सेवा के लिए उदाहरण पेश कर रहा है। कोरोना संक्रमित प्रसूताओं को बेहतर इलाज की हर संभव कोशिश की जा रही है।
जब एसटीएच बना एकमात्र सहारा
वैसे तो महामारी का दौर हर किसी के लिए मुसीबत भरा रहा, लेकिन गर्भवती के लिए यह समय और भी चुनौती भरा रहा। जहां खुद को बचाने की जद्दोजहद थी, वहीं पेट में पल रहे शिशु को भी सुरक्षित रखना था। जब कोरोना तेजी से फैला तो गर्भवती भी चपेट में आने लगीं। कुमाऊं भर के अधिकांश अस्पतालों ने ऐसी महिलाओं का प्रसव कराने से मना कर दिया। तब एकमात्र सहारा बचा एसटीएच। जहां कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं को नई जिंदगी मिली। इसमें डा. गीता जैन की अहम भूमिका रही।
90 से अधिक संक्रमित महिलाओं का हुआ प्रसव
डा. गीता जैन बताती हैं, पीपीई किट पहन कर प्रसव कराना आसान नहीं था, लेकिन चुनौती को स्वीकार करना था। पूरी टीम के साथ काम किया। पिछले वर्ष संक्रमण काल के दौरान 90 से अधिक कोरोना पॉजिटिव गर्भवती का प्रसव किया गया। इसमें से 40 फीसद महिलाओं का सिजेरियन हुआ। सभी के नवजात स्वस्थ हैं।
शिशु की किलकारी से बंधती है उम्मीद
कोरोनाकाल में पूरी तरह निराशा का माहौल। खुद को संक्रमण से बचाने की चिंता। ऐसे में जब हम प्रसव कराते हैं तो नवजात की किलकारी सुनाई पड़ती है। यह किलकारी हमें आगे बढऩे की प्रेरणा देती हैं। उम्मीद बंधाती है। स्वजनों के चेहरे की खुशी से खुद को भी खुश रखने की कोशिश करते हैं।
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें