ओमिक्रोन को लेकर उत्तरायणी मेले पर संशय, तीन दिन का होगा मेला
डीएम ने कहा कि वर्तमान में ओमीक्रोन का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जिसको फैलने से रोकना नैतिक जिम्मेदारी है। मेले का आयोजन एक सप्ताह का न होकर केवल तीन दिन होगा। अनावश्यक भीड नहीं होगी। बाहरी राज्यों से आने वाले व्यापारियों पर प्रतिबंध रहेगा।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: उत्तरायणी मेले पर अभी संशय बना हुआ है। तीन दिन का मेला कराने पर मंथन हुआ है। रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे। बाहर से व्यापारी नहीं आएंगे। ओमिक्रोन की नई गाइडलाइन के बाद फिर मेले पर निर्णय लिया जा सकता है।
शनिवार को कलक्ट्रेट सभागार में डीएम विनीत कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। जिसमें नगर पालिकाध्यक्ष समेत अन्य सीनियर सिटीजन से सुझाव लिए गए। डीएम ने कहा कि वर्तमान में ओमीक्रोन का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जिसको फैलने से रोकना नैतिक जिम्मेदारी है। मेले का आयोजन एक सप्ताह का न होकर केवल तीन दिन होगा। अनावश्यक भीड नहीं होगी। बाहरी राज्यों से आने वाले व्यापारियों पर प्रतिबंध रहेगा। बाहरी प्रदेश के कलाकारों नहीं बुलाए जाएंगे। स्थानीय कलाकार भी प्रस्तुति देंगे। धार्मिक अनुष्ठान होंगे। लोकल व्यापारियों एवं उत्पादों को मेले में शामिल किया जाएगा।
व्यापारी उचित मूल्य पर सामान उपलब्ध कराएंगे। ओमीक्रोन की गाइडलाइन का भी पालन होगा। बैठक में पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल, ब्लाक प्रमुख पुष्पा देवी, एसपी अमित श्रीवास्तव, सीडीओ डीडी पंत, एडीएम चंद्र सिंह इमलाल, एसडीएम हरगिरी, सीओ विपिन पंत, संजय साह जगाती, रणजीत बोरा, किशन मलड़ा, हरीश सोनी, अनिल कार्की, भुवन कांडपाल, दिलीप खेतवाल, दीपक खेतवाल, इंद्र सिंह परिहार, धीरेंद्र परिहार, नीमा दफौटी आदि मौजूद थे।
तहसील परिसर पर पटवारियों का हल्लाबोल
बागेश्वर: राजस्व निरीक्षकख, उपनिरीक्षक संघ का कार्यबहिष्कार वर्ष के पहले दिन भी जारी रहा। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर गई है। इसके अलावा भूमि और अन्य प्रमाणपत्र भी नहीं बन पा रहे हैं। उन्होंने शनिवार को तहसीलों पर धरना दिया। मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया।
शनिवार को भी राजस्व कर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर धरना दिया। जिला मुख्यालय की तहसील परिसर पर आयोजित सभा में जिलाध्यक्ष जगदीश परिहार ने कहा कि उन्हें सरकार ने छलने का काम किया है। विषम परिस्थितियों में वह गांवों की सुरक्षा करते हैं। भूमि के दस्तावेज, जाति, आय समेत अन्य प्रमाणपत्र भी उन्हें बनाने होते हैं। जिसकी जांच आदि के लिए उन्हें गांव-गांव तक जाना होता है। गांवों में होने वाले झगड़े आदि भी वह निपटाते आए हैं। उनके पास पुलिस जैसी कोई सुविधा नहीं है।
138 पटवारियों के सापेक्ष 60 से काम चल रहा है। जिसके कारण दो से लेकर तीन ग्राम पंचायतें एक पटवारी के पास हैं। कहा संघों की आपसी सहमति के आधार पर संगठन की आपत्ति के बाद भी एकीकरण का प्रस्ताव तैयार किया है। 16 वें बैच के राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण व राजस्व निरीक्षक क्षेत्रों के पुनर्गठन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं मिल रहा है। इस मौके पर आनंद पुरी गोस्वामी, प्रवीण सिंह टाकुली, सुरेश सिंह राठौर, रमेश चंद्र, हिमांशु परिहार, तारा दत्त पाठक, मनोज कुमार, राजेंद्र सिंह बिष्ट, सुशील चंद्र, भगवती जोशी, युवराज गोस्वामी, त्रिभुवन बोरा, कुंदन सिंह मेहता, सुरेंद्र कुमार, रमेश चंद्र आदि मौजूद थे।