सितारगंज जेल में कैदी की हत्या की आशंका, सिर व आंख पर चोट के निशान
चोट को देख यही लग रहा है की किसी ने मृतक पर धारदार हथियार से वार किया है जिससे वह गंभीर रूप से घायल होकर अचेत अपनी झोपड़ी की फर्श पर गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई। अब पुलिस जांच के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
जागरण संवाददाता, सितारगंज : खुली जेल में संदिग्ध हालात में हुई कैदी की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। मृतक के सिर व दाहिने आंख के ऊपर गहरी चोट से हत्या की आशंका जताई जा रही है। चोट को देख यही लग रहा है की किसी ने मृतक पर धारदार हथियार से वार किया है, जिससे वह गंभीर रूप से घायल होकर अचेत अपनी झोपड़ी की फर्श पर गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई। अब पुलिस कैदी की हत्या की गई है या फिर यह हादसा है, इसकी जांच के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। फिलहाल पुलिस ने तहसीलदार की मौजूदगी में शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए खटीमा भेज दिया है।
संपूर्णानंद खुली जेल में कैदियों की संदिग्ध अवस्था में मौत होने के मामले में कहीं न कहीं जेल प्रशासन की कैदियों के प्रति सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। बता दें कि गुरुवार की रात आजीवन कारावास की सजा काट रहे जीवन सिंह 45 पुत्र गुमान सिंह निवासी ग्राम रावल पट्टी जिला पिथौरागढ़ की संदिग्ध परिस्थितियों में सिर पर गहरी चोट लगने की वजह से मौत हो गई। जानकारी के अनुसार मृतक खुली जेल में बनी अपनी झोपड़ी की फर्श पर अचेत अवस्था में पड़ा हुआ था। वहीं मामले की जानकारी मिलते ही जेलर जयंत पांगती ने कैदी को तत्काल नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा, जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना पर एसपी सिटी देवेंद्र ङ्क्षपचा, सीओ सुरजीत कुमार, कोतवाल सलाऊदीन पुलिस कर्मियों के साथ अस्पताल पहुंचे और जानकारी ली। साथ ही तहसीलदार की मौजूदगी में पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया। कोतवाल सलाऊदीन ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद मौत के कारणों की पुष्टि होगी।
पहले भी फंदे से लटका मिला था एक कैदी का शव
वर्ष 1994 हत्या के मामले का आरोपित सूरत ङ्क्षसह निवासी ग्राम देवकली ठेरा नानकमत्ता जिसे वर्ष 2004 में कोर्ट ने दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उसका भी शव जेल के बाथरूम में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी के फंदे से पांच माह पूर्व लटका हुआ मिला था।
कैदियों के रहने के लिए बनाई गई है झोपड़ी
वर्तमान में खुली जेल के अंदर आजीवन कारावास काट रहे ऐसे करीब 27 कैदी हैं जो दिन में खेती व अन्य काम करते हैं, और इन सभी कैदियों के रहने के लिए खुली जेल में झोपडिय़ां बनाई गई हैं। कैदी दिन भर काम कर शाम को अपनी झोपडिय़ों में आराम करने के लिए चले जाते हैं। कैदियों को काम के दौरान दिए गए औजार को काम खत्म होने पर वापस जमा करवा लेना चाहिए, जिससे कि इन औजारों की मदद से कैदी न तो अपने को नुकसान पहुंचा पाए न दूसरे को, लेकिन मृतक कैदी जीवन सिंह के सिर पर लगी गहरी चोट को देखकर तो यही लगता है कि किसी धारदार औजार से उसके सिर पर चोट लगी है।