कुमाऊं भर में बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे हैं डाग ब्रीडिंग सेंटर
कुमाऊं मंडल के बागेश्वर अल्मोड़ा चंपावत समेत कई अन्य जिलों में में पशुपालन विभाग में रजिस्टर्ड एक भी डाग ब्रीडर नहीं हैं। नैनीताल में भी विभाग में पंजीकृत एक मात्र डाग ब्रीडर है। उधमसिंह नगर में भी काशीपुर और बाजपुर में भी सिर्फ एक-एक पंजीकृत डाग ब्रीडर है।
भीमताल, जागरण संवाददाता : कुमाऊं मंडल के बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत समेत कई अन्य जिलों में में पशुपालन विभाग में रजिस्टर्ड एक भी डाग ब्रीडर नहीं हैं। नैनीताल में भी विभाग में पंजीकृत एक मात्र डाग ब्रीडर है। उधमसिंह नगर में भी काशीपुर और बाजपुर में भी सिर्फ एक-एक पंजीकृत डाग ब्रीडर है। पशुपालन विभाग से प्राप्त जानकारी से मामले का खुलासा हुआ है।
कुमाऊं के सभी जिलों में डाग ब्रीडिंग का कारोबार जोर शोर से चल रहा है। गिने चुने ही सेंटर विभाग से रजिस्टर्ड हैं। अवैध प्रजनन पर अंकुश लगाने के लिये लाइसेंस लेना आवश्यक है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 38 के तहत एनिमल (डाग) बर्थ कंट्रोल रूल 2001 के नियम 12 के तहत इसकी व्याख्या की गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार लोगों की शिकायत रहती थी कि ब्रीडर छोटा और बीमार पपी देते हैं और खुद उनका उपचार व टीकाकरण करते हैं। जबकि राज्य पशु चिकित्सा परिषद में पंजीकृत वैटनरी डाक्टर ही पशुओं को इंजेक्शन लगाने और उपचार के लिये मान्य है।
विभाग की माने तो डाग ब्रीडर अपने घरों के बाहर एक छोटे से कमरे में पिल्ले को रख देते हैं तथा उनके रहने, खाने, दवा पानी की पर्याप्त जगह ना होने के कारण यह पपी या तो कमजोर हो जाते हैं या फिर खरीदने वाले पशु प्रेमी के घर में इन पिल्लों की मौत हो जाती है। समस्याओं और शिकायतों के निस्तारण के लिए वर्ष 2013 में शासन स्तर से ही डाग ब्रिडर सेंटरों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि पंजीकरण के लिए अनिवार्यता होने के बाद किसी ने भी पंजीकरण के लिये उधमसिंह नगर के अतिरिक्त दिलचस्पी नहीं दिखाई है और आवेदन भी नहीं किया है।
अपर निदेशक पशुपालन विभाग कुमाऊं मंडल डा बीसी कांडपाल ने बिना पंजीकरण संचालित होने वाले सेंटरों को गैर मान्यता प्राप्त बताया है। उन्होंने क्षेत्र के पशु चिकित्सकों को अपने अपने क्षेत्र में बिना पंजीकरण के संचालित सेंटरों को चिन्हित करने और उन पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
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