ब्लड देने कोई नहीं मिला तो डॉक्टरों ने खुद रक्तदान कर प्रसूता की बचाई जान
निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने ब्लड डोनेट कर गर्भवती महिला की जान बचाई।
चम्पावत, जेएनएन : डॉक्टर को धरती का भगवान कहा ही नहीं जाता बल्कि यहां के डॉक्टरों ने इसे चरितार्थ किया है। जब एक गर्भवती महिला के अपरिपक्व बच्चे की डिलीवरी कराने के बाद महिला की हालत गंभीर हो गई। बच्चे को रेफर कर दिया तो महिला का अत्यधिक रक्तस्त्राव होने के बाद डॉक्टर काफी घबरा गए। इस पर डॉक्टरों व स्टॉफ ने पांच यूनिट ब्लड डोनेट कर महिला की जान बचाई। अब जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ्य है। क्षेत्र निवासी रेशमा खातून पत्नी सोनू खान आठ माह की गर्भवती है। इससे 11 माह पूर्व रेशमा ने एक बच्चे को जन्म दिया था। दो दिन पूर्व रेशमा की तबीयत खराब होने पर परिजन उसे खटकना पुल स्थित निजी अस्पताल में ले गए। जहां डॉक्टर ने महिला की हालत गंभीर देखते हुए उसे रेफर कर दिया, लेकिन लॉकडाउन के चलते वह हायर सेंटर नहीं ले जा पाए।
दूसरी बारी निजी अस्पताल में कराना पड़ा था भर्ती
बुधवार रात्रि में रेशमा के पेट में फिर दर्द होने लगा जिस पर परिजन उसे दोबारा निजी अस्पताल ले गए। हालत गंभीर होने पर डॉक्टर ने उसे भर्ती कर लिया। डॉक्टर ने चेक करने के बाद डिलीवरी करने को सर्जरी करने की बात कही। जिस पर परिजन राजी हो गए। आठ माह की डिलीवरी करने को डॉक्टर ने गुरुवार सुबह उसकी डिलीवरी करा दी, लेकिन बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे खटीमा एक निजी अस्पताल में एनआइसीयू में भर्ती करा दिया। जहां उसकी हालत ठीक है। इधर दिन में महिला का अत्यधिक रक्तस्त्राव हो गया। जिससे महिला का बीपी व ब्लड काफी लो हो गया। जब महिला को ए पॉजिटिव ब्लड के बारे में ब्लड बैंक में पता किया गया तो वहां ब्लड नहीं मिला। इस पर महिला की स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप बिष्ट, डॉ. योगेश निगम, अस्पताल प्रबंधक दीपक जोशी, हरीश पांडेय, गोविंद चौहान ने पांच यूनिट ब्लड दिया। महिला को ब्लड चढ़ाने के बाद अब महिला की हालत ठीक है।
डॉक्टर की पहल सराहनीय : ब्लड बैंक प्रभारी
चम्पावत जिला अस्पताल की ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. रश्मि भटनागर ने बताया कि निजी अस्पताल में भर्ती महिला मरीज की डिलीवरी करने के बाद अत्यधिक रक्तस्त्राव होने लगा। महिला को ब्लड चढ़ाने के लिए ए पॉजिटिव ब्लड की जरूरत थी, लेकिन ब्लड बैंक में ए पॉजिटिव की सिर्फ दो यूनिट थी। ऐसे में परिजनों को डोनर लाने को कहा गया, लेकिन डोनर नहीं ला पाई। ऐसे में अस्पताल के डॉक्टर व स्टॉफ ने पांच यूनिट ब्लड डोनेट किया। जिसके बाद महिला की जान बचाई गई।
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