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World Hindi Day 2020 : दिवाकर भट्ट हिंदी को यूएन तक पहुंचाने के अभियान में 20 सालों से जुटे

World Hindi Day 2020 हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाले तीन भाषाओं में से एक है। लेकिन अभी तक यह संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) की भाषा नहीं बन सकी। वरिष्ठ साहित्यकार दिवाकर भट्ट इसे यूएन तक पहुंचाने के अभियान में पिछले 20 वर्षों से जुटे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 11:44 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 11:44 AM (IST)
World Hindi Day 2020 : दिवाकर भट्ट हिंदी को यूएन तक पहुंचाने के अभियान में 20 सालों से जुटे
World Hindi Day 2020 : दिवाकर भट्ट हिंदी को यूएन तक पहुंचाने के अभियान में 20 सालों से जुटे

हल्द्वानी, गणेश जोशी : हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाले तीन भाषाओं में से एक है। लेकिन अभी तक यह संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) की भाषा नहीं बन सकी। वरिष्ठ साहित्यकार दिवाकर भट्ट इसे यूएन तक पहुंचाने के अभियान में पिछले 20 वर्षों से जुटे हैं। आज वह हिंदी सम्मेलन के माध्यम से इसकी देश और दुनिया में चमक बिखेर रहे हैं।

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हिंदी से सभ्यता व संस्कृति भी विदेश पहुंची

आधारशिला विश्व हिंदी मिशन व अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद के संयोजक दिवाकर भट्ट कहते हैं, दुनिया के 190 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। करीब 80 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं। दुनिया में जब व्यापक रूप से हिंदी बोली व पढ़ी जाती है तो इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा क्यों नहीं बनाई जा सकती? इसी उद्देश्य के साथ ङ्क्षहदी को संघ तक पहुंचाने में जुटा हूं। उम्मीद है, एक दिन जरूर हिंदी यूएन की भाषा बनेगी। दिवाकर कहते हैं, जब दुनिया में हिंदी भाषा के रूप में पहुंची तो उसके साथ भारतीय सभ्यता व संस्कृति भी पहुंची।

हिंदी के प्रति दिखता है उत्साह

विदेश में बसे भारतीयों के अलावा अन्य में भी हिंदी के प्रति गजब का उत्साह दिखता है। उनमें भारतीय साहित्य, संस्कृति व लोक परंपराओं को जानने की जिज्ञासा रहती है। यही कारण है कि भारतीय पुस्तकें वहां भी प्रचलित हैं। दिवाकर बताते हैं, इसमें सबसे बड़ी भूमिका फिल्मों ने निभाई। बालीवुड की फिल्मों के माध्यम से भारतीयता से जुड़ी तमाम जानकारियां विदेश में पहुंची। इससे हिंदी को बढ़ावा मिला है। कई देशों में तो हिंदी फिल्मों के डायलाग बोले और गीत गुनगुनाए जाते हैं।  

इन देशों में ङ्क्षहदी सम्मेलन  

मार शस, बैंकाक, सिंगापुर, वियतनाम, हंगरी, उज्बेकिस्तान, हंगरी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, हालैंड, जर्मनी, इंग्लैंड में दिवाकर  हिंदी सम्मेलन का आयोजन कर चुके हैं। यही नहीं, दिवाकर ने विदेश में रह रहे तमाम लोगों की पुस्तकें भी ङ्क्षहदी में प्रकाशित की।


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