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द‍िनेश खुल्बे ने तीन बीघे में की काला नमक की खेती, माॅल में अच्छे दाम पर बचने की तैयारी

किसानों में परंपरागत खेती के बजाय आधुनिक खेती की तरफ रुझान तेजी से बढ़ रहा है। इसी दिशा में एक नाम हल्द्वानी के दिनेश खुल्बे का जुड़ा है। गौजाजाली निवासी खुल्बे ने तीन बीघा जमीन में काला नमक (ब्राउन राइस) की खेती कर रहे हैं। धान पकने को तैयार है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 07:12 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:12 AM (IST)
द‍िनेश खुल्बे ने तीन बीघे में की काला नमक की खेती, माॅल में अच्छे दाम पर बचने की तैयारी
द‍िनेश खुल्बे ने तीन बीघे में की काला नमक की खेती, माॅल में अच्छे दाम पर बचने की तैयारी

हल्द्वानी, जेएनएन : किसानों में परंपरागत खेती के बजाय आधुनिक खेती की तरफ रुझान तेजी से बढ़ रहा है। इसी दिशा में एक नाम हल्द्वानी के दिनेश खुल्बे का जुड़ा है। गौजाजाली निवासी खुल्बे ने तीन बीघा जमीन में काला नमक (ब्राउन राइस) प्रजाति के धान की खेती कर रहे हैं। धान पकने को तैयार है। पहली बार उगाए गए धान की पैदावार को देखकर खुल्बे उत्साहित हैं। हल्द्वानी में काले धान की पैदावार एक दो वर्षों से ही शुरू हो रही है। पिछले साल गिनती के कुछ किसानों ने प्रयोग के तौर पर काले धान की खेती शुरू की। किसानों के अच्छे फीडबैक को देखते हुए दिनेश खुल्बे ने तीन बीघा में काला नमक बोया है।

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झांसी से मंगाया बीच

दिनेश खुल्बे ने बताया कि उन्होंने काला नमक धान का बीज झांसी से मंगाया। तीन बीघा में तीन किलो बीज बोया गया है। इससे वह दस से 12 कुंतल उत्पादन की उम्मीद जता रहे हैं। इस धान से निकला चावल सुगंध, स्वाद और सेहत से भरपूर है। जापान, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान आदि देशों में इसकी खेती हो रही है।

सामान्य सिंचाई की जरूरत

खुल्बे बताते हैं कि काला नमक धान को पौध तैयार कर या बीच छिड़ककर बोया जा सकता है। शुरुआत में पानी की कम आवश्यकता होती है। बाद में गाब यानी बाली आने के बाद प्रत्येक सप्ताह सिंचाई की जरूरत होती है।

लोकल बाजार में बेचने की तैयारी

धान को लोकल बाजार में बेचने की तैयारी है। दिनेश खुल्बे ने बताया कि उन्होंने स्थानीय स्तर पर मॉल में धान की बिक्री के लिए बात की है। बाजार में काले धान की कीमत 200 रुपये किलो से अधिक है। काला नमक में शुगर व फैट की मात्रा काफी कम होती है, जबकि कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। स्थानीय स्तर पर मार्केटिंग की सही व्यवस्था होती है तो आने वाले दिनों में काले धान की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ेगा।

प्रो. चौधरी ने दिलाई पहचान

काला नमक चावल को पहचान दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी निवासी कृषि वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी 1997 से काम कर रहे हैं। यूनाइटेड नेशन के खाद्य और कृषि संगठन में चीफ टेक्निकल एडवाइजर के पद से रिटायर प्रो. चौधरी की कोशिशों की वजह से काला नमक की चार नई वैराइटी आई हैं।


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