उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह ने कहा, नई शिक्षा नीति में डिजिटल पढ़ाई पर रहेगा जोर
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में हमने 80 प्रतिशत बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराई।
हल्द्वानी, जेएनएन : उच्च शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य में हमने 80 प्रतिशत बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराई। अब हम आगे एनआइटी के माध्यम से सभी कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर प्रशिक्षण दिलवाएंगे। इसके लिए प्रत्येक कॉलेज में एक डिजिटल पुस्तकालय बना रही है। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन पढ़ाई को भी व्यापक रूप से शामिल किया गया है।
एमबीपीजी कॉलेज की ओर से आयोजित दो दिवसीय नेशनल वर्चुअल कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ. रावत ने कहा कि कांफ्रेंस में निकले निष्कर्ष को उन तक पहुंचा दिया जाए। इसका अध्ययन कर नीति बनाने में मदद मिलेगी। कांफ्रेंस संयोजक डॉ. रश्मि पंत ने व्यक्तित्व के तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस सेमिनार में पांच राज्यों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ. कमल पांडे, विशिष्ट अतिथि डॉ. एनएस बनकोटी ने इस तरह की पहल को सराहनीय बताया। इस दौरान डॉ. बीआर पंत, डॉ. उर्वशी पांडे, डॉ. प्रेम प्रकाश, डॉ. ऊषा जोशी आदि शामिल रहे।
मानसिक बीमारी है नशा करना, इलाज कराएं
रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के एसोसिएट प्रोफेसर प्रवीण तिवारी ने ई-लर्निंग की चुनौतियों व अवसरों पर कहा कि लॉकडाउन के दौर में हमें इसे विस्तार पर जोर देने की जरूरत है। अमरोहा डिग्री कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निखिल दास ने कहा कि नशा करना केवल आदत नहीं, बल्कि मानसिक बीमारी है। समय रहते इसका इलाज किया जाए। उन्होंने आंकड़ों के जरिये कहा कि भारत में 2.9 करोड़ लोग डिपेंडेंसी सब्सटेंस हैं यानी शराब के लती हैं। यह आंकड़ा बढ़ रहा है। इस मानसिक बीमारी को रोकने की जरूरत है। इस बीमारी का दवाइयों के अलावा कई तरह की उपचार की पद्धतियां हैं। उन्होंने परामर्श दिया कि एक बार छोड़ चुका व्यक्ति भी दोबारा नशा शुरू कर देता है। इसलिए सावधानी जरूरी है।
डीएसबी कैंपस में गृह विज्ञान विभाग की प्रोफेसर लता पांडे ने कहा कि कोरोना दौर खुद को रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखें। अध्ययन करें। खासकर युवा अपने स्क्रीन टाइम को कम करें। स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए यह जरूरी है। एसटीएच के मनोविज्ञानी डॉ. युवराज पंत ने कहा कि अनिश्चितता के इस दौर में लोगों का डर कम हुआ है। हमें काम के प्रति स्टे्रस होना चाहिए लेकिन इसका नकारात्मक असर जीवन पर नहीं दिखना चाहिए।
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