Akshay Navami 2020 : अक्षय फल देती है कार्तिक नवमी, आंवले के वृक्ष की पूजा से मिलता है पुण्यफल
अक्षय फल देने वाली कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि सोमवार 23 नवंबर को मनाई जा रही है। इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने कुष्मांडक नामक दैत्य का वध किया था।
हल्द्वानी, जेएनएन : अक्षय फल देने वाली कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि सोमवार 23 नवंबर को मनाई जा रही है। इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने कुष्मांडक नामक दैत्य का वध किया था। सतयुग का आरंभ भी आज के दिन से ही माना जाता है।
अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु को अति प्रिय आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि अक्षय नवमी के दिन पूजन, हवन, दान आदि का विशेष महत्व है। इस दिन किया जाने वाला पुण्य कर्म अक्षय हो जाता है। खरीदारी, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ करने के लिए भी यह दिन अति श्रेष्ठ है। सोमवार का योग होने से इस बार शिव पूजन के लिए भी अति उत्तम योग है।
इस तरह करें आंवला वृक्ष का पूजन
ज्योतिषाचार्य डा. गोपाल दत्त त्रिपाठी कहते हैं कि अक्षय नवमी के दिन प्रात:काल स्नान करने के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर उन्मुख होकर षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। ओम धात्र्यै नम: मंत्र का जाप करते हुए आंवला वृक्ष की जड़ में दूध अर्पित करें। वृक्ष के चारों और कच्चा सूत लपेटकर कपूर से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा करें। श्रीहरि से आरोग्य और मंगल की कामना करें। पंडितों को भोजन व दान देने का भी विशेष फल मिलता है।
आंवले के पेड़ में देवों का वास
ग्रंथों के मुताबिक आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में प्रजापति का वास होता है। पद्मपुराण के मुताबिक आंवले का वृक्ष विष्णु प्रिय है। इसे छूने से दोगुना व प्रसाद स्वरूप आंवले का फल खाने से तीन गुना फल मिलता है।