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किसानों की आय दोगुनी करेगी धान की विकसित तीन नई प्रजातियां, पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ेगा उत्पादन

विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने धान की तीन प्रजाति वीएल धान 69 वीएल धान 210 व वीएल धान 211 विकसित कर ली है। वीएल धान 69 प्रजाति की बुवाई उत्तराखंड के अलावा सिक्किम व केन्द्र शासित प्रदेश जम्मूकश्मीर में भी होगी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 05:52 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 05:52 PM (IST)
किसानों की आय दोगुनी करेगी धान की विकसित तीन नई प्रजातियां, पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ेगा उत्पादन
खरीफ के सीजन में काश्तकार इसकी बुवाई कर सकेंगे।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने धान की तीन नई प्रजातियां विकसित कर ली है। कई गुणों को समेटे यह प्रजातियां पर्वतीय क्षेत्रों के धान का उत्पादन बढ़ाने में तो मदद करेगी ही वहीं काश्तकारों की आय में भी वृद्धि होगी।

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विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने धान की तीन प्रजाति वीएल धान 69, वीएल धान 210 व वीएल धान 211 विकसित कर ली है। वीएल धान 69 प्रजाति की बुवाई उत्तराखंड, के अलावा सिक्किम व केन्द्र शासित प्रदेश जम्मूकश्मीर में भी होगी। तीन प्रजातियों को केंद्रीय फसल मानक, अधिसूचना और किस्म विमोचन उप-समिति, नईदिल्ली ने अधिसूचित कर लिया है। यह प्रजातियां गुणों से भरपूर हैं। इसके बाद जहां पर्वतीय क्षेत्रों में धान का उत्पादन तो बढ़ेगा ही वहीं किसानों की आय भी दोगुनी होगी। खरीफ के सीजन में काश्तकार इसकी बुवाई कर सकेंगे।

लाल-भूरा रंग का है धान 69

वीएल धान 69 का रंग लाल-भूरा होता हैै। जो सामान्य चावल की तुलना में बाजार में अधिक कीमत प्राप्त कर सकता है। यह पत्तीझौंका, बालीझौंका, भूरीचित्ती व पर्णच्छद विगलन बीमारियों के लिए प्रतिरोधी हैं। इसका दाना छोटा, मोटा, पौधे की ऊॅचाई 90-105 सेमी, परिपक्वता अवधि 125-130 दिन तथा प्रति वर्ग मीटर बालियों की संख्या ज्यादा (282) है। इसकी औसत उपज 4,255 किग्रा/हैक्टेयर है।

लंबे पतले दाने वाली प्रजाति धान 210

वीएल धान 210 वसंत में बोई जाने वाली वर्षाश्रित धान की लम्बे पतले दाने वाली पहली किस्म है। जिसकी जैविक परिस्थिति में औस तउपज 2,157 किग्राहै। यह प्राकृतिक स्थिति में पत्ती एवं बालीझौंका, भूराचित्ती, पर्णच्छदविगलन, पर्णच्छद अंगमारी, आभासीकण्ड, पत्तीलपेटक और तनाबेधक बीमारियों के लिए प्रतिरोधी है। इसमें उच्च हलिंग (78प्रतिशत), मिलिंग(67प्रतिशत), हेडराइस रिकवरी (58प्रतिशत) और एमाइलोज(22.8प्रतिशत) पाया जाता है।

कई गुणों से भरपूर धान 211

वीएल धान 211 के दाने छोटे, मोटे होते है तथा यह पत्ती व बाली रोग हेतु प्रतिरोधी है। इसने जैविक परिस्थितियों में 2,088 किलोग्राम/हैक्टेयर की उत्पादन क्षमता है। इसके पौधे की ऊॅचाई 100-110 सेमी. है तथा इसमें बहुत अच्छे गुण जैसे 80 प्रतिशत हलिंग, 69 प्रतिशत मिलिंग, 60 प्रतिशत हेड राइस रिकवरी व 24.8 प्रतिशत एमाइलेज है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जयदीप बिष्ठ ने बताया कि धान की तीन नई प्रजातियां विकसित की है। जो काश्तकारों के लिए बेहद फायदेमंद होगी। उत्पादकता के साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी। कृषि में लगातार नए प्रयोग हो रहे हैं।


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