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Uttarakhand : कृषि कानून पर बोले शंकराचार्य, भीड़तंत्र के आगे लोकतंत्र ने टेके घुटने

शनिवार को हल्द्वानी के नारायण नगर में उत्तरांचल उत्थन परिषद की ओर से आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित शंकराचार्य ने कहा कि देश में तथाकथित धर्मगुरु पैदा हो गए है। इसके लिए केंद्र सरकार को सख्त कदम उठाया जाना चाहिए।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 02:15 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 07:37 AM (IST)
Uttarakhand : कृषि कानून पर बोले शंकराचार्य, भीड़तंत्र के आगे लोकतंत्र ने टेके घुटने
राजनीति स्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कृषि कानूनों को लेकर भीड़तंत्र के आगे लोकतंत्र को घुटने टेकने पड़े।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : गोवर्धन मठ पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि भारत के वैदिक ज्ञान को कोई दबा नहीं सकता है। विज्ञान ने जिसे प्रमाणित किया, वो बातें हमारे वेदों में पहले से विद्यमान हैं। कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रभावी तरीके से आवाज उठाई जाए तो लोकतंत्र को भी भीड़तंत्र के आगे घुटने टेकने पड़ते हैं।

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शनिवार को हल्द्वानी के बिठोरिया में उत्तरांचल उत्थान परिषद की ओर से आयोजित संगोष्ठी में शंकराचार्य ने पत्रकारों व प्रबुद्ध लोगों के साथ संवाद किया। उन्होंने कहा कि देश में तथाकथित धर्मगुरुओं की बाढ़ आ गई है। अहमदाबाद के महामंडलेश्वर ने जब खुद को जगतगुरु लिखा तो अंग्रेजों ने यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया था कि चार पीठों के शंकराचार्य ही जगतगुरु लिख सकते हैं। बाद में शासन तंत्र ने नहीं चाहा कि धार्मिक, आध्यात्मिक जगत उसके समकक्ष या ऊपर हो। व्यंग्य करते हुए बोले, कुछ वर्ष पहले सोनिया, आडवाणी के नकली दामाद घूम रहे थे। अगर वह जेल में बंद हो सकते हैं तो नकली शंकराचार्य बनकर घूमने वालों को दंड क्यों नहीं दिया जा सकता।

मंदिरों पर सरकारों का हस्तक्षेप सही नहीं

उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड समेत दूसरे मठ-मंदिरों पर सरकार के हस्तक्षेप के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के संकेत पर पूर्व में हमने 32 बिंदु प्रधान न्यायाधीश के पास भेजे थे। जिसमें कहा था कि सेक्युलर शासन तंत्र को धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप का कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता। बोले, देश में आज कोई भी चर्चित राजनीतिक दल ऐसा नहीं है जो खुलकर गोवंश की रक्षा का पक्षधर हो।

तब भी बन जाता राम मंदिर

शंकराचार्य बोले, योगी व मोदीजी को विचार करना चाहिए कि पीवी नरसिम्हा राव के शासनकाल में रामालय ट्रस्ट बना। यदि मैंने उस पर हस्ताक्षर कर दिए होते तो यथा स्थान राम मंदिर व अगल-बगल मस्जिद बन गई होती। आज अयोध्या में भव्य राममंदिर बन रहा है। इसके पीछे कौन था यह देखना चाहिए। स्वामी ने कहा, मुझे श्रेय नहीं चाहिए, लेकिन इतिहास तो इतिहास ही है।

भारत को विकृत करने का केंद्र बना उत्तराखंड

शंकराचार्य ने कहा कि भारत को विकृत करने के लिए पाकिस्तान, चीन व क्रिश्चियन तंत्र ने उत्तराखंड को अपना केंद्र बनाया है। उत्तराखंड की सीमाएं ऐसी हैं कि चीन से किसी भी समय संकट आ सकता है। समाधान का मौलिक स्वरूप क्या हो सकता है, इस ओर हमारा ध्यान नहीं है।


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