विधायक चीमा ने कहा, लंबे समय से हो रही है काशीपुर को जिला बनाने की मांग, जानिए इस पर सीएम क्या बोले
ऊधमसिंहनगर के औद्योगिक शहर काशीपुर को जिला बनाने की मांग लंबे समय से जारी है। सीएम बनने के बाद पहली बार काशीपुर पहुंचे पुष्कर सिंह धामी से शहर के लोगों को उम्मीदें भी थीं। लेकिन एक बार फिर उन्हें निराशा हाथ लगी।
जागरण संवाददाता, काशीपुर : ऊधमसिंहनगर के औद्योगिक शहर काशीपुर को जिला बनाने की मांग लंबे समय से जारी है। सीएम बनने के बाद पहली बार काशीपुर पहुंचे पुष्कर सिंह धामी से शहर के लोगों को उम्मीदें भी थीं। लेकिन एक बार फिर उन्हें निराशा हाथ लगी। मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में मंच से कोई बात नहीं की। जबकि विधायक हरभजन सिंह चीमा ने अपने संबोधन के दौरान शहर की समस्याओं व जरूरतों को बताने के दौरान इस मसले पर भी मुख्यमंत्री का ध्यान खींचने की कोशिश की, लेकिन इसको लेकर मुख्यमंत्री ने एक श्ब्द भी नहीं बोला।
काशीपुर को जिला बनाने की मांग लंबे समय से चल रही है। कई संगठन जिले की मांग को लेकर समय-समय पर मुखर होते रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दौरे को लेकर क्षेत्र के लोग आशािन्वत थे। मंच से जब विधायक हरभजन सिंह चीमा ने क्षेत्र की मांगों को लेकर सीएम की मौजूदगी में कहा कि लोग काशीपुर को जिला बनाने की मांग लंबेे समय से कर रहे हैं, तो लोगों की अपेक्षाओं और उम्मीदों को पंख लगा। लेकिन जब सीएम ने अपने संबोधन में काशीपुर को जिला बनाने को लेकर एक शब्द नहीं बोला तो लोगों की उम्मीदें धूमिल हो गईं।
हरीश रावत ने छेड़ा नौ जिलों को राग
चुनावी साल में उत्तराखंड में नए जिलों को लेकर भी सियासत तेज हो गई है। वर्ष 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रदेश में चार नए जिले बनाने की घोषणा की थी। जो वक्त के साथ ठंडे बस्ते में चली गई। वहीं कांग्रेस सरकार में भी पूर्व सीएम हरीश रावत ने नए जिलों के गठन के लिए 2016 के बजट में 100 करोड़ की व्यवस्था करने की बात कही। इसके बाद कांग्रेस में राजनीतिक उठापटक शुरू हुई और चार जिलों की मांग फिर से ठंडे बस्ते में पहुंच गई। इस बार फिर हरदा ने नए जिलों को लेकर राग छेड़ा। लेकिन इस बार उन्होंने चार जिलों कोटद्वार, यमुनोत्री, रानीखेत और डीडीहाट की जगह नौ जिले जिनमें नरेंद्र नगर, काशीपुर, गैरसैंण, वीरोंखाल, खटीमा भी जोड़ दिया है।
निशंक ने की थी घोषणा
फिलहाल प्रदेश में 13 जिले हैं। नए जिलों की मांग लंबे समय से उठ रही है। वर्ष 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कोटद्वार, यमुनोत्री, रानीखेत और डीडीहाट को नया जिला बनाने की घोषणा की थी, जो कि पौड़ी गढ़वाल जिले में कोटद्वार, उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री, अल्मोड़ा जिले में रानीखेत और पिथौरागढ़ जिले में डीडीहाट को नया जिला बनाने की संस्तुति की गई थी। डीडीहाट को जिला बनाने के लिए क्षेत्रीय लोगों ने इस बार 50 से अधिक दिनों तक अनशन भी किया। हालांकि हरीश रावत के आश्वासन पर उन्होंने अपना अनशन तोड़ा दिया।
छोटी राज्य में प्रशासनिक इकाइयां छोटी करनी होंगी : हरदा
कुछ समय पहले हरीश रावत ने फेसबुक पोस्ट करते हुए लिखा था कि हमारे कुछ सीमांत क्षेत्र जैसे डीडीहाट, रानीखेत, पुरोला के लोग बहुत व्यग्र हैं कि उनके जिले कब बनेंगे, इतनी ही व्यग्रता कोटद्वार, नरेंद्र नगर, हमारे काशीपुर और गैरसैंण, वीरोंखाल, खटीमा के लोगों में भी है। ये कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनको जिले का स्वरूप देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मैंने सौ करोड़ की व्यवस्था इन जिलों को बनाने के लिए 2016 के बजट में की थी। लेकिन राजनैतिक दबावों के कारण ये जनपद अस्तित्व में नहीं आ पाये। हरीश रावत का कहना कि वे इस सरकार को राय तो नहीं देंगे, मगर इतना जरूर कहेंगे कि यदि भाजपा सरकार नहीं करेगी तो कांग्रेस शासन के अंतिम वर्ष के लिए इंतजार नहीं करेंगे। सत्ता में आने के दो वर्ष के अंदर पूरा कर देगी ताकि एक बार प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुचारु रूप से चल सकें। हरीश रावत का तर्क है कि जब हम छोटे राज्य की बात करते हैं तो प्रशासनिक इकाइयां भी छोटी करनी पड़ती हैं।