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बाघ-तेंदुए से बचने के लिए हिरन ने तीन साल से कोसी नदी को बनाया अपना आशियाना

रामनगर में सांभर (हिरन की एक प्रजाति) पिछले तीन सालों से कोसी नदी को ही अपना आशियाना बनाए हुए है। वन कर्मियों और वन्‍यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक सांभर बाघ और तेंदुए की डर से जगल में कुछ देर चरने के बाद नदी के बीच में आकर खड़ा हो जाता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 10:18 AM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 10:18 AM (IST)
बाघ-तेंदुए से बचने के लिए सांभर ने तीन साल से कोसी नदी को बनाया अपना आशियाना

रामनगर, जागरण संवाददाता : रामनगर में एक सांभर (हिरन की एक प्रजाति) पिछले तीन साल से कोसी नदी को ही अपना आशियाना बनाए हुए है। उसे अक्‍सर नदी के बीच खड़ा देखा जा सकता है। वन कर्मियों और वन्‍यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक सांभर बाघ और तेंदुए के डर से जगल में कुछ देर चरने के बाद नदी के बीच में आकर खड़ा हो जाता है। चूंकि बाघ और तेंदुए जंगल में शिकार करने से बचते हैं, इसलिए व‍ह खुद को वहां सुरक्षित महसूस करता होगा। नदी में खड़ा सांभर लोगों के बीच आकर्षण का भी केन्‍द्र बना हुआ है।

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रामनगर में गिरिजा मंदिर के समीप बह रही कोसी नदी के बीच सांभर को खड़ा देखा जा सकता है। वन कर्मियों की मानें तो नर सांभर जंगल से चरकर वापस कोसी नदी में आकर खड़ा हो जाता है। वह कई घंटे तक नदी में खड़ा रहता है। लोगों के बीच रहने का अब वह आदी हो चुका है। यही वजह है कि लोगों का शोर सुनकर अब वह दूर नहीं भागता है। चार सौ मीटर के बीच नदी में वह अलग-अलग जगह पर खड़ा दिखाई देता है। वनाधिकारियों व वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक सांभर बाघ के डर से नदी में आ जाता है। वह जंगल की अपेक्षा नदी में खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है। यही वजह है कि वह अपना अधिकांश समय पानी में ही व्यतीत करता है।

रेस्क्यू के लिए वन विभाग पर आते हैं फोन

सांभर हमेशा नदी में ही खड़ा रहता है। कई बार लोग सांभर को नदी के बीच फंसा हुआ मान लेते हैं। ऐसे में वह आपदा कंट्रोल रूम को सांभर के फंसे होने की जानकारी दे देते हैं। वनाधिकारियों के मुताबिक कई बार उन पर सांभर को रेस्क्यू करने के लिए फोन आते हैं तो उन्हें वास्तविकता बताई जाती है।

क्‍या कहते हैं रेंजर और विशेषज्ञ

रामनगर वन प्रभाग के रेंजर ललित जोशी ने ताया कि पिछले तीन साल से सांभर नदी में ही खड़ा रहता है। उसके हमेशा पानी में खड़े होने से ऐसा प्रतीत होता है कि वह बाघ व गुलदार से बचने के लिए नदी में आता है। बाघ अक्सर नदी में शिकार कम करता है। यही कहना है कि वन्य जीव विशेषज्ञ एजी अंसारी का। बताते हैं कि पिछले चार साल से सांभर को नदी में ही खड़ा देखते आ रहे हैं। यह संभव है कि वह बाघ के हमले से बचने के लिए नदी को सुरक्षित समझता है। नदी के भीतर उगने वाली वनस्पति को भी सांभर बड़े चाव से खाता है।


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