पत्नी के निधन के बाद पिता ने मां की भी भूमिका निभाई, बेटा इंजीनियर तो बेटी बनी प्रवक्ता
बच्चों की कामयाबी के लिए पिता के साथ मां की भी अहम भूमिका होती है। दोनों के संस्कार बच्चों में आजीवन परिलक्षित होते हैं।
रुद्रपुर, मनीस पांडेय : बच्चों की कामयाबी के लिए पिता के साथ मां की भी अहम भूमिका होती है। दोनों के संस्कार बच्चों में आजीवन परिलक्षित होते हैं। यहां तक कि प्यार-दुलार के लिहाज से मां की जगह पिता भी नहीं ले पाते। रुद्रपुर निवासी दीपचंद्र जोशी ने पत्नी की मृत्यु के बाद बच्चों को मां को न तो मां की कमी का अहसास होने दिया और न ही समर्पण में कोई कमी रखी। तभी आज उनका बेटा इंजीनियर तो बेटी प्रवक्ता हैं।
रुद्रपुर के कीरतपुर मोड़ निवासी दीप चंद्र जोशी 62 साल की उम्र में सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत हैं। देवीधुरा (चंपावत) के मूल निवासी दीप चंद्र जोशी 1983 में ही रुद्रपुर आ गए थे और अध्यापन कार्य शुरू कर दिया था। 1987 में विवाह के बाद दो बेटियां व एक बेटा हुआ। 2004 में हार्ट अटैक से पत्नी भगवती की मृत्यु हो गई।
ऐसे में बच्चों की सारी जिम्मेदारी उन पर आ गई। तब बड़ी पुत्री गीता 16 साल की थी। ऐसे में बच्चों के लिए खाना बनाना, कपड़े धोना, पढ़ाई करवाना आदि सभी उन्हीं के कंधों पर था। गीता ने कुछ जिम्मेदारी संभालनी शुरू की तो 18 साल की होते ही विवाह हो गया।
अब दीप तीनों बच्चों की शादी करा चुके हैं। लेकिन सभी को शिक्षा व संस्कार देने में कोई कमी नहीं छोड़ी। तभी बेटी गीता उप्रेती आर्य कन्या इंटर कॉलेज में प्रवक्ता तो 31 साल का बेटा ललित मोहन जोशी पिथौरागढ़ में लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता के रूप में कार्यरत है। जबकि छोटी बेटी रेखा अभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है।
दीप चंद्र जोशी ने बताया कि बच्चों की पैरेंङ्क्षटग के लिए सिर्फ खाना बनाना ही सबकुछ नहीं है, उनके भीतर संस्कार व समझ विकसित करना भी एक प्रमुख दायित्व है। जिससे बच्चे दुनिया को आसानी से समझ सकें। जो हालात थे उसके मुताबिक बच्चों को भरपूर देने का प्रयास किया।
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