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sting case of former CM Harish Rawat पूर्व सीएम हरीश रावत को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सीबीआइ को केस दर्ज करने की अनुमति

हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले सोमवार को सुनवाई शुरू हो गई है।पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल पूर्व सीएम हरीश रावत की ओर से बहस कर रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 01:55 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 11:12 AM (IST)
sting case of former CM Harish Rawat पूर्व सीएम हरीश रावत को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सीबीआइ को केस दर्ज करने की अनुमति
sting case of former CM Harish Rawat पूर्व सीएम हरीश रावत को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सीबीआइ को केस दर्ज करने की अनुमति

नैनीताल, जेएनएन :   हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त से संबंधित स्टिंग मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो को जांच जारी रखने या एफआइआर दर्ज करने की छूट दे दी है। साथ ही कहा है कि जांच एजेंसी को पूर्व सीएम के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। कोर्ट का फैसला सीबीआइ के साथ ही पूर्व सीएम के लिए भी अंतरिम राहत के तौर पर माना जा रहा है। सीबीआइ के लिए सबसे बड़ी राहत यह है कि उसके द्वारा मामले में की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट का कोर्ट संज्ञान ले चुकी है। मामले में अगली सुनवाई पहली नवंबर को होगी।

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दरअसल, 16 मार्च 2016 को कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा सत्र के दौरान वित्त विधेयक पर चर्चा के बाद बगावत कर दी तो सरकार अल्पमत में आ गई थी। इस पर गवर्नर ने सरकार को बहुमत साबित करने को कहा। इसी बीच 26 मार्च को एक न्यूज चैनल ने स्टिंग की वीडियो जारी की, जिसमें पूर्व सीएम को कथित रूप से सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की बातचीत करते सुना गया। इस पर मामले की जांच के लिए 31 मार्च को राज्यपाल ने केंद्र सरकार से सीबीआइ जांच की संस्तुति की तो दो अप्रैल को केंद्र ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी। बाद में सुप्रीम कोर्ट से रावत सरकार बहाल हो गई तो 15 मई को मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में वरिष्ठ मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्टिंग मामले की सीबीआइ जांच का फैसला वापस लेकर एसआइटी जांच का निर्णय लिया गया। कैबिनेट के इस फैसले को तब बागी कांग्रेसी व वर्तमान में वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। इसी बीच सीबीआइ ने मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दी। पिछले दिनों जस्टिस आरसी खुल्बे ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया, जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया को आवंटित किया। 

सोमवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। पूर्व सीएम की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट राष्टï्रपति शासन की अधिसूचना को ही खारिज कर चुकी है, तो बोम्मई केस के अनुसार, राष्टï्रपति शासन में लिया गया हर निर्णय निरस्त माना जाएगा, लिहाजा स्टिंग मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति का नोटिफिकेशन भी निरस्त हो गया। उन्होंने स्टिंग में न्यूज चैनल संचालक उमेश शर्मा व वन मंत्री हरक सिंह रावत के बीच बातचीत का भी संदर्भ दिया। सीबीआइ की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राकेश थपलियाल ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी से स्टिंग मामले की अधिसूचना केंद्र सरकार उस वर्ष दो अप्रैल को जारी कर चुकी थी तो उस अधिसूचना को वापस लेने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है। उन्होंने अन्य दलीलें भी दीं। करीब चार घंटे बहस के बाद कोर्ट ने जांच एजेंसी को मामले में जांच जारी रखने या मामला दर्ज करने की छूट दे दी। हालांकि यह भी कहा कि इस मामले में जांच एजेंसी पूर्व सीएम के खिलाफ उत्पीडऩात्मक कार्रवाई नहीं करेगी। 


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