अल्ट्रासाउंड के बाद अब बेस और एसटीएच में भी सीटी स्कैन बंद, महंगी जांच को लोग मजबूर
बेस अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के छुट्टी पर जाने से अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे हैं। साथ ही सीटी स्कैन की जांच भी बंद है।
हल्द्वानी, जेएनएन : बेस अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के छुट्टी पर जाने से अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे हैं। साथ ही सीटी स्कैन की जांच भी बंद है। वहीं, डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भी मंगलवार दोपहर से सीटी स्कैन मशीन दगा दे गई है। इस कारण जांच कराने पहुंचे मरीजों को निराश लौटना पड़ा। अस्पताल प्रबंधन किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर सका है।
बेस अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए सुबह से ही मरीज पहुंचने लगे थे। डॉक्टर से चेकअप के बाद जैसे ही मरीज अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर पहुंचे तो वहां पर ताला लटका हुआ मिला। यह देख मरीज व उनके तीमारदार परेशान हो गए और इधर-उधर भटकते रहे। उन्हें पता चला कि रेडियोलॉजिस्ट डॉ. बिपिन पंत के छुट्टी पर जाने से अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद हो चुका है। इसके चलते सीटी स्कैन भी बंद कर दिया गया है। जांच के लिए मरीजों को एसटीएच रेफर करना पड़ा।
एसटीएच में तीन माह की वेटिंग
एसटीएच में अल्ट्रासाउंड के लिए तीन माह की वेटिंग चल रही है। ऐसे में यहां पर बेस अस्पताल से रेफर मरीजों का अल्ट्रासाउंड हो जाएगा, ऐसा संभव नहीं है। हालांकि, कुछ मरीज एसटीएच पहुंचे थे। जब उन्होंने रेडियोलॉजी विभाग में भीड़ देखी तो वापस चले गए।
महिला अस्पताल पहले से ओवरलोड
महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाएं अल्ट्रासाउंड कराने पहुंचती हैं। प्रतिदिन संख्या 45 से अधिक रहती है। यहां पर भी केवल एक रेडियोलॉजिस्ट हैं। ऐसे में यहां पर अन्य मरीजों को लाभ नहीं मिल सका।
एसटीएच की सीटी स्कैन भी दे गई दगा
एसटीएच में दोपहर एक बजे सीटी स्कैन में तकनीकी खराबी आ गई थी। जो भी मरीज जांच के लिए लंबी कतार में खड़े थे, निराश लौट गए। मशीन कब तक ठीक होगी, अभी अधिकारी कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं। यहां पर जांच के लिए पहुंचे 25 मरीजों को लौटना पड़ा।
गरीबों को कौन सुनता है सरकार
लालकुआं से एसटीएच में उपचार को पहुंचे पवन सिंह का कहना था कि उनकी माता का सीटी स्कैन होना है, लेकिन मना कर दिया गया है। बेस में भी जांच नहीं हुई। इतने पैसे नहीं कि निजी चिकित्सालय जा सकें। यही हाल ओखलकांडा से पहुंचे जीवन शर्मा का था। वह भी अपनी पत्नी का इलाज कराने पहुंचे थे। उनका कहना था कि सरकार गरीबों की कहां सुनती है?
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