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चंद राजाओं ने कटवा दिए थे जगन्नाथ के हाथ, बेटी की मदद से बनाया था हथिया नौला का नायाब शिल्प

चम्पावत जिले में ऐतिहासिक कलाकृतियों की कमी नहीं है। यहां के प्राचीन मंदिरों में ऐसी अनेक बेजोड़ कलाकृतियां देखी जा सकती हैं। ऐसी ही एक कलाकृति है एक हथिया नौला। यह नौला अपनी बनावट और शिल्प कला के कारण मंदिर के समान लगता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 11:37 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 11:37 AM (IST)
चंद राजाओं ने कटवा दिए थे जगन्नाथ के हाथ, बेटी की मदद से बनाया था हथिया नौला का नायाब शिल्प
हथिया नौला अपनी बनावट और शिल्प कला के कारण मंदिर के समान लगता है।

चम्पावत, जेएनएन : चम्पावत जिले में ऐतिहासिक कलाकृतियों की कमी नहीं है। यहां के प्राचीन मंदिरों में ऐसी अनेक बेजोड़ कलाकृतियां देखी जा सकती हैं। ऐसी ही एक कलाकृति है एक हथिया नौला। यह नौला अपनी बनावट और शिल्प कला के कारण मंदिर के समान लगता है। नौले को शिल्पकार ने इस तरह से तराशा है कि इसे देखने के बाद कोई भी शिल्पकला और शिल्पकार की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकता। कहा जाता है कि इस नौले को एक हाथ वाले शिल्पकार ने तराशा था।

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जिला मुख्यालय के पश्चिम में स्थित ढकना गांव से दो किमी दूर यह नौला बनाया गया है। एक हाथ से निर्मित होने के कारण इसका नाम एक हथिया पड़ा। माना जाता है कि चंद राजाओं का राजमहल व कुमाऊं की स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध बालेश्वर मंदिर का निर्माण करने वाले मिस्त्री जगन्नाथ का एक हाथ चंद शासकों ने कटवा दिया था। ताकि बालेश्वर जैसा निर्माण दोबारा न हो सके। लेकिन एक हाथ कट जाने के बाद भी जगन्नाथ ने अपनी कला को जिंदा रखा और उसने अपनी पुत्री कुमारी कस्तूरी की सहायता से ढ़कना गांव से दो किमी दूर जंगल में पानी के जल स्रोत को नौले का भव्यतम रूप दिया।

नौले में लगे पत्थरों पर लोक जीवन के विभिन्न दृश्यों नृतक, वादक, गायक और कामकाजी महिलाओं का सजीव चित्रण किया गया है। यह कला की दृष्टि से कुमाऊं की बेजोड़ कलाकृतियों में से एक है। खास बात यह है कि नौले का निर्माण केवल पत्थरों से किया गया है जिसमें गारे का प्रयोग नहीं हुआ है। इस नौले का संरक्षण पुरातत्व विभाग के पास है। आज भी इस नौले को देखने के लिए स्थानीय लोग और बाहर से आने वाले पर्यटक जाते रहते हैं। आबादी से दूर होने के कारण इस नौले के पानी को पीने के काम में नहीं लाया जाता लेकिन जंगल में घास व जलौनी लकड़ी लाने वाले लोग और ग्वाले नौले के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं।

ऐसे पहुंचे एक हथिया नौले तक

एक हथिया नौला जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर पड़ता है। यहां पहुंचने के लिए ढ़कना गांव से पैदल मार्ग जाता है। ढ़कना तक सड़क मार्ग है। वहां से लगभग ढ़ाई किमी की चढ़ाई चढ़कर नौले तक पहुंचा जा सकता है। पहले लोग इसी पैदल मार्ग से मायावती आश्रम तक जाते थे।

घने जंगल देखभाल में बाधक 

एक हथिया नौला जंगल में होने के कारण इसकी उचित देख रेख नहीं हो पा रही है। ग्वाले और जंगल जाने वाले कई लोग इस नौले के पत्थरों के साथ छेड़ छाड़ कर रहे हैं। इसकी छत के कुछ पटाल दुबारा लगाए गए हैं। जिला पर्यटन अधिकारी चम्पावत लता बिष्ट ने बताया कि एक हथिया नौला चम्पावत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है। इसके संरक्षण की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग के पास है। पर्यटन विभाग ने इस नौले को अपनी धरोहर में भी शामिल किया है। पर्यटकों को इस नौले के बारे में ऑनलाइन जानकारी भी दी जा रही है ताकि वे इसे देखने के लिए जा सकें।


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